पंजाब : सरकार द्वारा इन खेलों को किया जा रहा अनदेखा, देखें वीडियो

पंजाब : सरकार द्वारा इन खेलों को किया जा रहा अनदेखा, देखें वीडियो

मोगा : आज के युग में पुरातन खेलों को युवा पीढ़ी बिल्कुल भूल चुकी है और मोबाइल के युग में आकर अपना सभ्याचार भी भूल रही है। वहीं हम आप को उस युग में ले कर चलते है जहां खेलते समय लोग मिटी में मिट्टी हो जाते थे और उन खेलों को बाजी कहते थे। इन खेलों को देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के इलावा कई राज्यों के मुख्य मंत्री भी देख चुके है। लेकिन कुछ सालों से इन खेलों को सरकार द्वारा अनदेखा किया जा रहा है। आओ कुछ बताते है पुरातन खेलों के बारे में। क्या आप ने बाजीगर बिरादरी द्वारा डाली जाती बाजी देखी है, शायद 35-40 साल की उमर के नौजवानों ने नहीं देखी होगी और खास कर शहरों में रहने वाले नोजवानों को इन पुरातन खेलों के बारे में पता भी नही होगा।

अगर हम बड़े-बड़े शहरों की बात करें तो वहां के नौजवान युवा पीढ़ी तो बाजीगरों द्वारा डाली जाती पुरातन खेलों की बाजी से बिल्कुल ही अंजान होंगे। वहीं मोगा में इन पुरातन खेलों को खेल रहे है। 40 सालों बाद पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से आए बाजीगर स्टेडियम में जहां पर ढोल की थाप पर यह खेले खेली जा रही है। आज की खेलों में बाज़ीगारों द्वारा रस्सा खींचना, आग के गोले से कूदना, मंजा टपना, गले से लोहे के सरिया को गोल करना ओर अन्य कई तरह की पुरानी खेले जो आज की युवा पीढ़ी के लिए एक अलग तरह की पहचान है। वह खेली गई इन खेलों का मुख्य उद्देश्य नौजवान पीढ़ी को नशे से दूर करना खेलों की तरफ लाना और अपने सभ्यचार को बरकरार रखना है।

इस मौके पर युवाओं ने कहा की यह बाजी उन्होंने पहली बार देखी है जो इनकी सदियों से विरासती है। यह अपनी खेलों में ढोल की धाप पर मिट्टी में मिट्टी हो जाते है। लोगों ने कहा जैसे करीब 40 साल बाद यह खेले देखने को मिली है। ऐसी हमने बचपन में देखी थी और अब हमारी उमर भी 60 के करीब हो चुकी है। बाजी डालने आए खिलाड़ी ने कहा की हमारी यह आखिरी पीढ़ी है जो बाजी डाल रही। इसमें में मेरा बाप और मेरा बेटा भी है। लेकिन अब आगे आने वाली पीढ़ी इस को नहीं खेलेगी, क्योंकि कि सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा। अगर सरकार इन खेलों की ओर ध्यान दे तो पंजाब में नशा खतम हो जाएगा और लोग अपने सभ्यचार से जुड़े रहेंगे।