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भागवत  कथा के अंतिम दिन हुआ कॄष्ण सुदामा की दोस्ती कक गुनगान

भगवान के द्वार पर ब्राह्मणों का नहीं होता था तिरस्कार

हवन यज्ञ के बाद किया भंडारे का आयोजन

बद्दी/सचिन बैंसल : बद्दी के वार्ड दो में श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन कथा वाचक नरेंद्र भारद्वाज ने भगवान श्री कृष्ण और सुदामा का चित्रण किया। जिसमें दिखाया गया कि सुदामा अपनी गरीबी के चलते भगवान श्रीकृष्ण से नहीं मिलना चाहता था। भगवान ने एक भिक्षु के रूप में सुदामा के घर में आए तो उनकी पत्नी से भिक्षा मांगी लेकिन उसके बाद अन्न का एक भी दाना नहीं था। तो भगवान की कहा पानी पिला दो लेकिन जैसे ही पानी पिलाने लगी तो वह घड़ा ही टूट गया और पानी गिर गया। यह भगवान की लीला था।

भिक्षू  ने सुदामा की पत्नी से कही  कि अगर वह पानी और अन्न नहीं दे सकती तो वचन तो दे सकती है। और ऊन्होंने सुदामा को द्ववारिका भेजने का वचन मांगा। जिस पर सुदामा को पत्नी के वचन का पालन करते हुए भगवान से मिलने जाना पड़। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के द्वार पर किसी भी ब्राह्मण का निरादर नहीं होता था। सुदामा फटे पुराने कपड़े में जब आया और उसने अपना परिचय ब्राहमण के रूप में दिया तो उसे द्वारपालों ने आदर सत्कार के साथ महल में लाया गया। कुछ लोग इसका गलत बताते है कि सुदामा को द्वारपालों ने धक्के मारे।  जैसे ही भगवान की पता चला कि सुदामा आया है तो वह नंगे पांव ही उसे लेने गए। उन्होंने सुदामा के दिए भी अमृत समझ कर खा लिए। बाद में सुदामा को वापस घर भेज दिया।

लेकिन उसे कुछ नहीं दिया। सुदामा पूरे रास्ते यह सोचते रहे कि घर में वह क्या बताएंगे। लेकिन जब घर पर पहुंचे तो उनकी झोंपड़ी महल बन गई थी और उनकी पत्नी किसी रानी से कम नहीं थी। लेकिन सुदामा ने बाद का जीवन भी अपनी झोंपड़ी में ही व्यतीत किया। भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा के इस सुंदर चित्रण सुन कर उपस्थित भक्तगण भावुक हो उठे। कथा के बाद हवन यज्ञ किया गया जिसमें भक्त राम ठाकुर, निर्मला देवी, देशराज ठाकुर, अमर सिंह ठाकुर, राम आसरी देवी ने पूर्णाहुति में भाग लिया।  बाद में भंडारे का आयोजन किया गया जिमसें सैंकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। 

कृष्ण कौशल, हरनेक ठाकुर, नगर परिषद के ईओ आरएस वर्मा,  भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य डीआर चंदेल, पूर्व प्रिसंीपस जसवंत राय कौशल, व्यापार मंडल के प्रधान जसवंस राय, ओम प्रकाश कौशल,  दीना नाथ कौशल,  नप उपाध्यक्ष मान सिंह मेहता.  तरसेम कांटू, दिनेश कौशल, सोनी प्रधान, संजीव ठाकुर,आज्ञा राम, केवल कृष्ण मेहता,  अमर चंद ठाकुर, प्रेम लता ठाकुर, मदन गोपाल, गुरचरण सिंह,विशेषर  ठाकुर, राम सिह ठाकुर, ललित ठाकुर ने भाग लिया।

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