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भागवन शालिग्राम विवाह रचाने गुरचरण प्रजापत के घर आए

बददी/सचिन बैंसल: बद्दी में वीरवार को देवउठनी एकादशी के तहत तुलसी विवाह हुआ। बद्दी के प्रचीन शिव मंदिर से शालिग्राम भगवान सहरा लगा कर बद्दी के वार्ड नंबर दो स्थित गुरचरण सिंह व उनकी धर्मपत्नी कौशल्या के घर आए वह विवाह की पूरी रस्मोरिवाज के तहत उनका स्वागत किया गया। बाद में सभी बारातियों को भोजन की भी व्यवस्था की गई। 
वीरवार को साढ़े 11 बजे बारात बाजे गाजे के साथ बद्दी शिव मंदिर से शुरू हुई। मंदिर से नगर खेड़ा, स्कूल प्रांगण से होते हुए मुख्य मार्ग व मुख्य गली से होकर गुरचरण सिंह के घर पहुंची। बारात की अगुवाई मंदिर के महंत प्यारे लाल कर रहे थे। गुरचरण की बेटी आंचल ने रिबन काटने की रस्म निभाई। इस दौरान मिलनी की रसम हुई। जिसमें चंद्रमोहन, गुरचरण ने बाराती आए महंत प्यारे लाल व पंडित द्वारका प्रसाद के साथ शाल व फूल मालाएं  पहना कर मिलनी कराई गई। इसके बाद दुल्हू के रूप में आए सालिगग्राम व माता तुलसी के विवाह कराया गया। 
जन श्रूति के अनुसार भगवान विष्णु ने जांलधर का वध किया । वृंदा पति के वियोग को सहन नहीं कर पाई और सती हो गई। कहा जाता है कि वृंदा की राख से जो पौधा उत्पन्न हुआ। उसे भगवान विष्णु ने उसे  तुलसा का नाम दिया।  जिसके बाद भगवान विष्णु ने प्रण लिया कि व तुलसी के बगैर भोग ग्रहण नहीं करेंगे। इसके साथ ही उनका विवाह शालीग्राम के साथ हुआ।  तब तक शालीग्राम व वृंदा के विवाह का प्रचलन है और देव उठनी एकादशी को इनक विवाह कराने पर भगवान की असीप कृपा होती है। इस मौके पर कृष्ण कौशल, मान सिंह मेहता, अजय कौशल, संत राम कौशल, बिमल कौशल, शीला कौशल,  सुषमा कौशल, मधु कौशल, कृष्णा कौशल, शंकुतला बैंसल, समेत गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

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