फिरोजपुर। ममदोट बॉर्डर इलाके के तरन वाली गांव में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े युद्ध जैसे हालात में भारतीय सेना ने खेतों में अपना अस्थायी बेस बनाया था। इसी दौरान गांव का एक 10 साल का मासूम बच्चा शरवन सिंह सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा नजर आया।
दिन-रात सैनिकों की सेवा में लगा रहा बच्चा
चूंकि सेना का बेस शरवन के घर के बिल्कुल पास था, इसलिए वह दिन-रात सैनिकों की सेवा करता रहा। शरवन चाय, पानी, लस्सी और बर्फ सैनिकों तक पहुंचाता था। इसके अलावा वह अपने घर में उगी ताजा सब्जियां भी सैनिकों के लिए लेकर आता था। गर्मी के मौसम में उसकी यह सेवा सैनिकों के लिए काफी मददगार साबित हुई।
सेना ने की बहादुरी और सेवा भावना की सराहना
शरवन की निस्वार्थ सेवा और मजबूत हौसले को देखते हुए सेना के अधिकारियों ने उसे बहादुर बच्चों के लिए मिसाल बताते हुए सम्मानित किया। इतना ही नहीं, बच्चे के पारिवारिक हालात देखकर सेना के सीनियर अधिकारियों ने उसके भविष्य को बेहतर बनाने का भी फैसला किया।
बेहतर पढ़ाई के लिए सेना ने बढ़ाया मदद का हाथ
सेना के अधिकारियों ने शरवन को गोद लेकर उसे सरकारी स्कूल के बजाय शहर के अच्छे स्कूल में पढ़ाने की सिफारिश की। इसके बाद उसका एडमिशन मंडोर के एक प्राइवेट स्कूल में करवाया गया, ताकि वह अच्छी शिक्षा हासिल कर सके।
नेशनल चिल्ड्रन्स अवॉर्ड के लिए हुआ चयन
जब शरवन की यह कहानी मीडिया के जरिए सामने आई, तो उसके जज्बे और सेवा भावना से प्रभावित होकर आर्मी के सीनियर अधिकारियों ने 26 दिसंबर को मनाए जाने वाले नेशनल चिल्ड्रन्स डे के मौके पर उसे चिल्ड्रन्स अवॉर्ड के लिए चुन लिया।
खास गाड़ी से अमृतसर एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया
आज सुबह जिला प्रशासन और आर्मी के अधिकारियों ने शरवन को एक खास गाड़ी में उसके गांव से अमृतसर एयरपोर्ट तक पहुंचाया। इसके बाद वह दिल्ली के लिए रवाना हुआ, जहां उसे सम्मानित किया जाएगा।
मां की आंखों में खुशी के आंसू घर पर बैठी शरवन की मां अपनी खुशी को शब्दों में बयान नहीं कर पा रही है। उसने कहा, “पंजाब से यह पहला बच्चा है जिसे चिल्ड्रन्स अवॉर्ड के लिए चुना गया है। यह हमारे पूरे परिवार और गांव के लिए गर्व की बात है। मेरे बेटे की सेवा भावना और हिम्मत ने आज उसे बहुत ऊंचा मुकाम दिलाया है।”
परिवार ने जताया आर्मी का आभार
शरवन की मौसी, बड़ी बहन और दादा ने भी अपनी खुशी जाहिर की और आर्मी अधिकारियों का दिल से धन्यवाद किया। परिवार का कहना है कि सेना ने न सिर्फ शरवन की मेहनत को पहचाना, बल्कि उसके भविष्य को भी एक नई दिशा दी।
