शिमला: शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने केंद्र सरकार की सेब आयात नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि न्यूजीलैंड से सेब आयात पर शुल्क 50 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया जाना प्रदेश के बागवानों के साथ खुला विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि ऐसे निर्णय किसान और बागवान विरोधी मानसिकता को दर्शाते हैं और इससे हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक गंभीर आर्थिक अनिश्चितता में फंस जाएंगे। सेब बागवानी प्रदेश की पहाड़ी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इस तरह की नीतियां लाखों बागवान परिवारों की आजीविका पर सीधा हमला हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्व में बागवानों के हितों की रक्षा का आश्वासन दिया था, लेकिन मंडी मध्यस्थता योजना को वर्ष 2023 से लगभग समाप्त कर देना इस वादे की पोल खोलता है। जहां वर्ष 2022-23 में इस योजना के लिए करीब 4 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान था, वहीं 2023-24 में इसे घटाकर मात्र एक लाख रुपये कर दिया गया, जिससे बागवानों का सुरक्षा कवच समाप्त हो गया। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार सीमित संसाधनों के बावजूद पिछले तीन वर्षों में 160 करोड़ रुपये की सेब खरीद कर बागवानों के साथ मजबूती से खड़ी है।
शिक्षा मंत्री ने चेतावनी दी कि मुक्त व्यापार समझौतों के चलते यदि आयातित सेब सस्ती दरों पर भारतीय बाजार में डम्प किए गए तो हिमाचल प्रदेश की लगभग 5 हजार करोड़ रुपये की सेब अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि सेब आयात पर शुल्क कटौती को तत्काल वापस लिया जाए, उच्च आयात शुल्क बहाल किया जाए और मंडी मध्यस्थता योजना में केंद्र का वित्तीय योगदान पुनः शुरू किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार बागवानों के हितों के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं होने देगी और इस अन्याय के खिलाफ हर मंच पर आवाज उठाई जाएगी।
