नई दिल्ली: पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसीम मुनीर अगले हफ्ते डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। छह महीनों में ट्रंप के साथ यह उनकी तीसरी मुलाकात होगी। रिपोर्ट्स की मानें तो इस बैठक में गाजा स्टेबलाइजेशन फोर्स पर बातचीत होगी। पिछले कई दशकों में पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली सैन्य प्रमुख को सबसे कठिन परीक्षा का सामना कर रहे हैं। एक ओर अमेरिका इस्लामाबाद पर दबाव डाल रहा है कि वो गाजा में लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने के लिए भेजी जा रही अंतराष्ट्रीय सेना में अपने सैनिकों को भेजे। वहीं दूसरी ओर विश्लेषकों का यह कहना है कि यदि पाकिस्तान की सेना ऐसा कदम उठाएगी तो पाकिस्तान के अंदर विद्रोह भड़क जाएगा।
ट्रंप ने बनाया गाजा के लिए पीस प्लान
वहीं ट्रंप ने गाजा और हमास के बीच में जंग रुकवाने के लिए गाजा प्लान दिया था। इसमें एक यह भी प्लान था कि जब तक फिलिस्तीनी क्षेत्र में पुनर्निमाण और आर्थिक सुधार होगा तब तक वहां एक इंटरनेशनल फोर्स भेज दी जाएगी। इसके लिए मुस्लिम देशों से भी सैनिकों की मांग भी कई गई है। गाजा के इस पुनर्निमाण और आर्थिक सुधार की सख्त जरुरत है क्योंकि वो दो साल से ज्यादा समय तक इजरायली सेना के द्वारा की गई बमबारी से नष्ट हो गया है।
परंतु कई मुस्लिम देश गाजा में इस्लामी उग्रवादी समूह हमास के खिलाफ मिशन चलाने को लेकर सावधान हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि यह मिशन उन्हें लंबे समय के संघर्ष में खींचेगा और उनकी फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल के विरोध वाली आबादी नाराज हो जाएगी।
पाकिस्तान की बढ़ेगी समस्या
ट्रंप ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसीम मुनीर से पाकिस्तानी सैनिकों को गाजा में भेजने की साफ मांग की है। ऐसे में मुनीर के लिए यह स्थिति कठिन हो गई है। उनके पास इस समय दो ही रास्ते हैं और दोनों ही पाकिस्तान के लिए खतरा है। यदि पाकिस्तान इस प्रस्ताव को ठुकराएगा तो अमेरिका से मिलने वाली वित्तीय मदद, निवेश और सुरक्षा सहायता पर भी तुरंत रोक लग जाएगी। ट्रंप अपनी नीतियों को लेकर काफी सख्त हैं।