नई दिल्लीः नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। ऐसे में गांधी परिवार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए अहम कानूनी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। अदालत ने कहा कि ईडी मामले में आगे की जांच जारी रख सकती है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि इस स्टेज पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता क्योंकि ईडी का मामला सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक निजी शिकायत और मजिस्ट्रेट के समन आदेशों पर आधारित है, बल्कि एक निजी शिकायत से जुड़ा है।
‘बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने अपने आदेश में कहा कि PMLA की धारा 3 के तहत परिभाषित और धारा 4 के तहत दंडनीय मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच और अभियोजन, तब तक कायम नहीं रह सकता जब तक संबंधित अपराध पर एफआईआर दर्ज न हो या वह अपराध कानून की अनुसूची में शामिल न हो। इसी आधार पर अदालत ने ईडी की शिकायत को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि अब दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है, इसलिए ईडी द्वारा आरोपों के गुण-दोष (मेरिट्स) पर दी गई दलीलों पर फैसला करना फिलहाल जल्दबाजी और अनुचित होगा।
अदालत ने साफ कहा, ‘धारा 3 के तहत परिभाषित और धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान लेने से इनकार किया जाता है। शिकायत खारिज की जाती है।’ इस मामले में गांधी परिवार के अलावा सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, यंग इंडियन, डोटेक्स मर्चेंडाइज और सुनील भंडारी को भी ईडी ने आरोपी बनाया था। वहीं, गांधी परिवार की ओर से दलील दी गई कि यह एक असामान्य और अभूतपूर्व मामला है, जिसमें बिना किसी संपत्ति के उपयोग या उसके प्रदर्शन के ही मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेताओं ने ईडी के इस आरोप को भी खारिज किया कि यंग इंडियन का इस्तेमाल AJL की संपत्तियां हड़पने के लिए किया गया। उनका कहना था कि दिया गया कर्ज AJL को कर्ज-मुक्त बनाने के लिए था।