चंडीगढ़ः यूटी में 15 साल पहले एमबीए छात्रा की रेप के बाद हुए मर्डर केस में को लेकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सुनवाई हुई। जहां कोर्ट ने सीरियल किलर मोनू को उम्र कैद की सजा और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। वहीं, छात्रा के माता-पिता ने कहा कि ऐसे अपराधी को फांसी की सजा होनी चाहिए थी। कोर्ट रूम के अंदर नेहा के माता-पिता जज के साथ बात कर रहे हैं और दरवाजा बंद है। उन्होंने जज से कहा कि आरोपी को उम्र कैद नहीं फांसी की सजा देनी चाहिए थी, तभी हमें इंसाफ मिलता। दरअसल, सेक्टर 38 की रहने वाली 21 साल की एमबीए स्टूडेंट 30 जुलाई, 2010 की शाम को अपने घर से कोचिंग के लिए निकली थी।
आम तौर पर वो रात के 9 बजे तक घर वापस लौट आती थी, लेकिन उस दिन नहीं लौटी और ना ही उसका फोन लग रहा था। इस पर घरवालों ने उसके कोचिंग इंस्टीट्यूट में बात की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। इसके बाद परिवार के लोग सेक्टर 39 के पुलिस स्टेशन में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा दी। करन टैक्सी स्टैंड के पास उन्हें बेटी की स्कूटी दिखाई दी। उस पर खून के छींटे लगे थे। परिवार वालों ने आस-पास के पूरे इलाके में तलाश की तो टैक्सी स्टैंड से थोड़ी दूर झाड़ियों में उसकी लाश खून से लथपथ और बिना कपड़ों के पड़ी हुई थी।
इस केस में छात्रा के कत्ल के 12 साल तक आरोपी का पता ही नहीं चल सका था। पुलिस ने भी अनट्रेस केस की रिपोर्ट दाखिल कर दी थी और परिवार ने भी न्याय की आस छोड़ दी थी। मगर, साल 2022 में चंडीगढ़ में ही हुई एक महिला की हत्या की जांच में पुलिस के हाथ छात्रा के मामले का पहला सुराग लगा। पुलिस की ओर से कराए गए 100 से ज्यादा डीएनए टेस्ट और 800 लोगों से हुई पूछताछ में आरोपी मोनू कुमार निवासी डड्डूमाजरा शाहपुर कॉलोनी, चंडीगढ़ का नाम सामने आया।
मगर, दिक्कत ये थी कि वह चंडीगढ़ छोड़कर बिहार जा चुका है और ना तो वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता था, ना उसके पास आधार कार्ड था और ना ही उसका कोई बैंक अकाउंट। ऐसे में पुलिस लाख कोशिश करने के बावजूद उसे ट्रेस नहीं कर पा रही थी। मगर, साल 2024 में वह चंडीगढ़ लौटा तो मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने दोनों महिलाओं की हत्या की बात कबूली। यह भी बताया कि 2008 में हिमाचल प्रदेश के चंबा में एक छोटी सी बच्ची के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी।