नई दिल्ली: जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ले ली है। राष्ट्रपति द्रौपदी ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलवाई है। शपथ लेने के तुरंत बाद उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर गवई का गर्मजोशी के साथ मिलकर अभिवादन किया है। इस बार का शपथ ग्रहण ऐतिहासिक रहा क्योंकि इसमें छह देशों भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशियस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल हुए। ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी भारतीय सीजीआई के शपथ ग्रहण में इतना बड़ा विदेशी न्यायिक प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहा है।
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2027 तक रहेगा कार्यकाल
हरियाणा के हिसार जिल में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा। उन्होंने कुरक्षेत्र यूनिवर्सिटी से कानून में ग्रेजुएशन की और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे। उन्होंने अपने करियर में कई अहम फैसलों में खास भूमिका निभाई है। इसमें अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण, पेगासस स्पाइवेयर जांच, राजद्रोह कानून को स्थगित करने का आदेश और बार एसोसिएशन में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करना भी शामिल हैं।
2018 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज
उन्होंने 1981 में हिसार के गर्वनमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएशन और 1984 में रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। उसी साल उन्होंने वकालत की शुरुआत हिसार की जिला अदालत से की परंतु 1985 में वो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ में आ गए। जुलाई 2000 में उन्हें एडवोकेट जनरल बना दिया गया। वो हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल थे। 2001 में वो सीनियर एडवोकेट बने। इसके बाद जनवरी 2004 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी जज बनाया गया। 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट को मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली थी। उन्होंने 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली थी। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से उन्हें 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट को जज बनाया गया।