धर्म: हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसको भैरव अष्टमी या कालाष्टमी भी कहते हैं। यह त्योहार भगवान शिव के रौद्र अवतार काल भैरव के प्राक्ट्य और उनके अद्भूत शक्ति स्वरुप को समर्पित है। काल भैरव को समय का देवता और न्याय के संरक्षक के तौर पर पूजा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव जयंती वाले दिन ही भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे। इसी कारण काल भैरव जयंती वाले दिन उनकी खास-तौर पर पूजा अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस मौके पर बाबा काल भैरव की जो भी आराधना करता है उसके जीवन से डर, नेगेटिव शक्तियां और बुरी आत्माएं दूर होती है।
ऐसा माना जाता है कि काल भैरव की आराधना समय की बाधाओं और न्याय के विषयों में मदद करती है। इससे व्यक्ति के जीवन में सफलता और सुरक्षा आती है। इस दिन उपवास करने, जागरण करने और भैरव स्त्रोत का पाठ करने का भी खास महत्व बताया गया है।
12 नवंबर को मनाई जाएगी काल भैरव जयंती
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 11 नवंबर मंगलवार सुबह 11:08 मिनट से शुरु होगी और इसका समापन 12 नवंबर बुधवार को सुबह 10:58 पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, कालभैरव जयंती 12 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी।
ऐसे करें पूजा
इस दिन यदि संभव हो तो मंदिर में जाकर काल भैरव बाबा के सामने सरसों के तेल का दीया जलाएं। यदि आप मंदिर में नहीं जा सकते तो घर पर ही काल भैरव की पूजा कर लें। दीपक जलाने के बाद काल भैरव बाबा के मंत्रों का 108 बार जाप करें। इसके अलावा इस दिन भैरव अष्टक का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। इससे जीवन में पॉजिटिविटी आएगी, मानसिक शांति मिलेगी, डर और नेगेटिविटी का प्रभाव आपके जीवन से दूर होगा। भैरव बाबा को इस दिन विशेष भोग जरुर अर्पित करें। इस दिन जलेबी, उड़द की दाल के पकौड़े, नारियल का भोग आप लगा सकते हैं। यह भोग बाबा को प्रिय माना जाता है। इसको अर्पण करने से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आएगी।
पूजा का महत्व
काल भैरव की आराधना करने से जीवन की नकरात्मक शक्तियां दूर होती है। इससे आपकी जीवन में स्थिरता और पॉजिटिव एनर्जी आएगी। पापों से भी मुक्ति मिलेगी और जीवन में सफलता के रास्ते खुलेंगे।