कई एंटीक चीजें बढ़ाती हैं बाजार की शान, ग्राहकों के इंतजार में दुकानदार
होशियारपुरः एक जमाना था जब लोगों को गांवों से खरीदारी करने के लिए शहरों और कस्बों तक लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। कई बाजार अपनी खास चीजों के लिए मशहूर थे, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, आधुनिक तकनीक ने प्राचीन हस्तशिल्प के कई विकल्प पेश किए।
इसी तरह, होशियारपुर का 100 साल से भी ज्यादा पुराना प्राचीन डब्बी बाजार भी कभी मशहूर हुआ करता था। आज भी इस बाजार में वो सारी चीजें मिलती हैं जो 100 साल पहले मिलती थीं या लोग घर पर जरूरत पड़ने पर खरीदते थे और ये सारी चीजें उस जमाने में लकड़ी पर नक्काशी करके और हाथी दांत का इस्तेमाल करके सजाई जाती थीं और जानवरों की सुरक्षा के लिए हाथी दांत पर प्रतिबंध लगने के बाद, अब लकड़ी की चीजों पर एक खास तरह के प्लास्टिक से नक्काशी की जाती है और ये सारा काम बहुत ही बारीकी और हाथ से किया जाता है और कई हफ्तों और महीनों की मेहनत के बाद अपना रंग दिखाता है, लेकिन आधुनिक युग में ऑनलाइन शॉपिंग के चलन के कारण इस बाज़ार की रौनक फीकी पड़ गई है और अब ये बाज़ार वीरान हो गया है। पहले इस बाज़ार में खड़े होने की जगह नहीं होती थी और दूर-दूर से ग्राहक और व्यापारी इस बाज़ार में खरीदारी करने आते थे, लेकिन अब यहाँ बैठे दुकानदार दिन भर ग्राहकों के इंतजार में बैठे रहते हैं।
दुकानदार कोमल जैन, कारीगर व अन्य ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि अगर सरकार इस बाजार के प्रचार-प्रसार पर ध्यान दें, तो इस बाजार का वैभव वापिस आ सकता है, और इस बाजार से जुड़े कई मेहनती कारीगर आर्थिक तंगी से उबर सकते हैं, साथ ही इस कला और बाज़ार को भी बचाया जा सकता है, और साथ ही भविष्य में युवा भी इस काम में वापिस आकर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।