धर्म: नरक चतुदर्शी को छोटी दीवाली, रुप चौदस जैसे कई तरह के नामों से जाना जाता है। वैसे तो नरक चतुर्दशी दीवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है लेकिन इस साल तिथि का ऐसा संयोग बन रहा है जिसको नरक चतुर्दशी और दीवाली एक ही दिन मनाई जाएगी।
20 अक्टूबर को मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी
20 अक्टूबर को नरक चतुदर्शी रहेगी और इसी दिन दीवाली भी मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 19 अक्टूबर 1:51 पर होगी और 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 तक रहेगी। इस दिन स्नान सूर्योदय से पहले किया जाता है। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 20 अक्टूबर को ही नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
इस समय जलेगा यम का दीपक
यम दीपक कुछ लोग धनतेरस वाले दिन जलाते हैं तो कुछ लोग दीवाली से एक दिन पहले जलाते हैं। ऐसे में आप अपनी परंपरा का पालन करते हुए यम का दीप जला सकते हैं। यदि आप धनतेरस वाले दिन यम का दीपक जलाते हैं तो 18 अक्टूबर को रात में जलाएं और यदि आप दीवाली से एक दिन पहले यम का दीपक जलाते हैं तो 19 अक्टूबर को यम का दीपक जलाएँ।
नरक चतुर्दशी को मनाने के लिए भी कई पौराणिक कथाएं मशहूर है परंतु इस दिन यम दीप जलाने का खास महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यमराज के नाम का दीपक जलाने से परिवार में अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता और नेगेटिव एनर्जी दूर होती है परंतु यम का दीपक जलाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है।
इन नियमों का रखें ध्यान
सही दिशा और विधि
शास्त्रों के अनुसार, इस दीप को जलाने के कुछ नियम और दिशाएं बताई गई हैं। इसके अनुसार, यम का दीपक हमेशा दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए क्योंकि यह दिशा यमराज की मानी जाती है। इसके साथ ही यह ध्यान रखें कि दीया या तो मिट्टी का हो या आटे से बना हो। दीया हमेशा सरसों के तेल से ही जलाएं।
साफ जगह पर रखें
यम का दीप जलाने के बाद पहले इसको सारे घर में घुमाएं। फिर घर के बाहर इसको किसी दक्षिण दिशा वाली सगह पर रखें। दीपक रखते समय आप ध्यान रखें कि यहां भी इसको रखें वो जगह शुद्ध और पवित्र हो।
14 दीपक जलाएं
नरक चतुर्दशी वाले दिन यम दीप जलाने के अलावा 14 अन्य दीपक भी जलाने चाहिए। इससे आपके घर के अलग-अलग जगह जैसे पूजाघर, रसोई, पीने के पानी वाली जगह पर, तुलसी के पास, मुख्य द्वार, छत और बाथरुम पर जलाएं। ये दीप घर में जलाने बहुत शुभ माने जाते हैं।
चौमुखी दीपक
यम दीप हमेशा चार मुख वाला ही जलाएं। इसमें चार बाती लगाएं। यम दीप की चार बातियों चार दिशाओं में रोशनी फैलने का प्रतीक मानी जाती हैं। इस दीपक को जलाने से यम देव खुश होते हैं। यम देव अकाल मृत्यु और गंभीर संकटों से परिवार की रक्षा करते हैं। यम दीप जलाने से पितृ भी प्रसन्न होते हैं।