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नशे को रोकने के लिए शुरु होगी Anti-Chitta Volunteer Scheme, एक हजार से ज्यादा वालंटियर किए जाएंगे तैनात

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शिमला: प्रदेश सरकार नशे की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे अभियान को और मजबूत बनाने के लिए एंटी-चिट्टा वालंटियर योजना (एसीवीएस) शुरु करने जा रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा मंडी जिले के सरकाघाट में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान की गई घोषणा के अनुरूप पुलिस विभाग द्वारा एक विस्तृत प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।

इस योजना के अन्तर्गत 1000 एंटी-चिट्टा वालंटियर तैनात किए जाएंगे जो पुलिस, जनता और अन्य हित धारकों के मध्य एक मजबूत सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। यह वालंटियर समाज और युवाओं को चिट्टा और अन्य नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करेंगे, संदिग्ध गतिविधियों, हॉट-स्पॉट और अपराधियों की गुप्त रूप से जानकारी पुलिस को देंगे।

यह स्कूलों, कॉलेजों व सामुदायों में जागरूकता कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाएंगे। इसके अलावा यह रैलियों, नुक्कड़ नाटकों, सोशल मीडिया और जागरूकता अभियानों में सहयोग करेंगे तथा प्रभावित व्यक्तियों को परामर्श एवं पुनर्वास केंद्रों से जोड़ेंगे। योजना के तहत पंजीकृत स्वयंसेवियों को सेवाओं के लिए मानदेय भी प्रदान किया जाएगा।

प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में पिछले अढ़ाई वर्षों में सरकार ने नशे के खिलाफ मुहिम को विशेष प्राथमिकता दी है। सरकार द्वारा इस संबंध में कई पहल की गई हैं। इस नई योजना से जमीनी स्तर पर खुफिया तंत्र सुदृढ़ करने, युवाओं और समाज में जागरूकता लाने, प्रभावित लोगों को बेहतर पुनर्वास सेवा प्रदान करने और पुलिस-जनता के मध्य सहभागिता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य नशा मुक्त हिमाचल के ध्येय को साकार करना है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों की सुरक्षा के दृष्टिगत इन्हें फील्ड आइडेनटिफिकेशन में शामिल नहीं किया जाएगा और पुलिस द्वारा इनकी पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। संवेदनशील मामलों में इन्हें सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। इन स्वयंसेवकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा जिसमें एनडीपीएस एक्ट की मूल जानकारी, पुलिस प्रक्रियाएं और सामुदायिक सहभागिता के संबंध में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

मुख्यमंत्री का कहना है कि पदभार ग्रहण करते ही प्रदेश सरकार ने नशे के विरूद्ध जंग शुरू की है और कई ठोस कदम भी उठाए हैं। प्रदेश सरकार ने स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम (पीआटीएनडीपीएस) लागू किया है जबकि पूर्व भाजपा सरकार ने ऐसा नहीं किया था। नशा माफिया की 42 करोड़ रुपये से अधिक की संपति जब्त की है और पुलिस भर्ती में चिट्टे की जांच अनिवार्य की है। प्रदेश सरकार युवाओं को नशे के चंगुल से बचाने के लिए पिछले अढ़ाई वर्षों से निरंतर सकारात्मक प्रयास कर रही है।

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