अमृतसरः भारत के हमले से बदहवास पाकिस्तान ने गोल्डन टेंपल को निशाना बनाने की कोशिश की जिसे इंडियन एयर डिफेंस और L 70 ने धराशाई कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर के 3 दिन तक जब पाक आर्मी कैंट और एयरबेस को टारगेट नहीं कर पाई तो गोल्डन टेंपल की तरफ मिसाइलें दागने लगे। हालांकि सेना के एयर डिफेंस सिस्टम ने उनकी मिसाइलों को आसमान में ही न्यूट्रलाइज कर हमला विफल कर दिया। इसका खुलासा पंजाब में तैनात सेना के एयर डिफेंडर्स ने किया है। सेना के अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि नाकाम होने के बाद पाक आर्मी सिविलियंस को टारगेट करने लगी थी।
हालांकि 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान में सीजफायर हो चुका है। जिसके बाद दोनों तरफ से हमलों की कोई खबर नहीं है। सिविलियन एरिया के साथ हम ये देखकर हैरान रह गए कि पाक आर्मी अमृतसर में गोल्डन टेंपल को टारगेट कर रही है। उन्होंने गोल्डन टेंपल की तरफ एयर टू सरफेस और सरफेस टू सरफेस वाली 2 तरह की मिसाइलें दागीं। इसके अलावा ड्रोन अटैक की भी कोशिश की। हालांकि सभी जानते हैं कि गोल्डन टेंपल सिर्फ अमृतसर नहीं बल्कि पूरे देश की श्रद्धा का केंद्र है। इसलिए हम पहले से इसकी प्रोटेक्शन के लिए रेडी थे। हमने उनके सारे हमले नाकाम कर दिए।
पंजाब के एयर डिफेंडर्स टीम में शामिल सैन्य अधिकारी ने कहा कि 7 मई 2025 को हमने पाकिस्तान व पाक के कब्जे वाले कश्मीर में चयनित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद साफ था कि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा। जिसमें वे मिलिट्री ठिकानों को टारगेट करेगा। हम इसके लिए तैयार थे। हमारे पास कई तरह के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम तैयार था। सैन्य अधिकारी ने कहा कि एयरस्ट्राइक के बाद 3 दिन तक पाक आर्मी ने हमारे मिलिट्री कैंट और एयरफोर्स स्टेशन को टारगेट करने की कोशिश की। हम उनके हर हमले को विफल करते गए। जब पाक आर्मी को सफलता नहीं मिली तो उन्होंने ड्रोन और रॉकेट से सिविलियन एरिया पर हमला शुरू कर दिया।
सैन्य अधिकारी ने कहा कि पाक का रिस्पांस या हमले जैसे भी हों, वे हमारे सुरक्षा कवच को नहीं भेद सकते। हम इस सुरक्षा दीवार को और मजबूत कर रहे हैं। हमने बहुत सटीकता से तैयार की है। हमारा एयर डिफेंस सिस्टम ऐसा है कि चाहे कोई भी मिसाइल दागी जाए, किसी न किसी तरह से हम उसे इंटरसेप्ट कर मार गिराने में सक्षम हैं। सैन्य अधिकारी ने कहा कि हमने पाकिस्तान की सभी एयर रेड्स को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। इस दौरान स्थानीय लोगों से भी बहुत मदद मिली। हमारी तैयारी का अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए कि हमारे एयरबेस वेपन और आर्मी का सिर्फ 10% आर्म्स ही खर्च हुए। हमने तो ड्रोन और माइक्रो ड्रोन्स गिराए हैं, वे सभी तुर्किये के बने हैं।