Chaitra Navratri 2025 9th Day Maa Siddhidatri: नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है. इनके नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं. मां सिद्धिदात्री देवी सरस्वती की ही स्वरूप है. वैसे तो इनका वाहन सिंह है, लेकिन यह माता लक्ष्मी की तरह कमल के आसन पर विराजमान होती हैं. माता के चार हाथ हैं और इनके दाहिने और नीचे वाले हाथ में चक्र ऊपर वाले हाथ में गदा और बाईं ओर नीचे के हाथ में कमल का फूल और ऊपर वाले हाथ में शंख हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार मां भगवती के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को अष्टसिद्धियों की प्राप्ति होती है. साथ ही भय और रोगों से मुक्ति मिलती है.
पंचांग के अनुसार, महानवमी तिथि का शुरुआत हो जाएगी जो कि 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में महानवमी 6 अप्रैल को है. वहीं मां सिद्धिदात्री और कन्या पूजन के लिए शुभ अभिजित मुहूर्त सुबह11बजकर 58 से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा.
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि | Maa Siddhidatri Puja Vidhi
नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें, उसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा व समस्त देवी देवताओं का ध्यान करें. मां को मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी चढ़ाकर मां की भक्ति भाव से पूजा करें. इसके बाद मां को पूरी, खीर, चने, हलुआ, नारियल का भोग लगाएं. उसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें और नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराएं.
मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, हलवा, खीर और नारियल बहुत प्रिय हैं. मान्यता है कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को इन चीजों का भोग लगाने से वह बहुत प्रसन्न होती है. इसेक अलावा मां सिद्धिदात्री का प्रिय रंग सफेद और बैंगनी है. महानवमी को बैंगनी या सफेद रंग के कपड़े पहनना बहुत शुभ होता है. यह रंग अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है.
मां सिद्धिदात्री मंत्र जाप | Maa Siddhidatri Mantra
- पूजा मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
- स्वयं सिद्ध बीज मंत्र:
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
- मां सिद्धिदात्री स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
- मां सिद्धिदात्री ध्यान
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां सिद्धिदात्री की आरती | Maa Siddhidatri Aarti
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.एनकाउंटर इंडिया पुष्टि नहीं करता है.