महिला के 7 बच्चे पहले ही गर्भ में ही मर चुके थे, 8वीं बार हुई pregnant
नई दिल्ली: ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज (AIIMS) नई दिल्ली में हैरान करने वाला मामला सामने आया। जहां डॉक्टर्स एक गर्भवती महिला के लिए भगवान बनकर सामने हैं। जहां महिला का 8वां बच्चा भी मौत के मुंह में समाने जा रहा था। फिर ऐसा चमत्कार हुआ जो आपको आश्चर्यचकित कर देगा।
महिला हरियाणा के एक गांव की रहने वाली है। महिला जब एम्स में आई तो उसके 7 बच्चे गर्भ में ही मर चुके थे, आसपास के दर्जनों डॉक्टर उसे कह चुके थे कि वह मां नहीं बन पाएगी, हालांकि पांच साल की शादी में उसने एक बार फिर गर्भवती होने का फैसला किया। इस बार वह आठवीं बार मां बनने जा रही थी, लेकिन उसके साथ फिर वही होने वाला था कि उसके शरीर में बनी एंटीबॉडीज उसके बच्चे को पेट के अंदर-अंदर ही खत्म कर रही थीं।
एम्स के गायनेकोलॉजी एंड ओबीएस विभाग की एचओडी डॉ. नीना मल्होत्रा के मुताबिक हिस्ट्री देखने के बाद महिला की सभी जांचें की गईं, हालांकि इस ब्लड ग्रुप को ही डायग्नोस करना काफी क्रिटिकल था, लेकिन एम्स के हेमेटोलॉजी विभाग ने सिर्फ ब्लड ही नहीं बल्कि जीन की भी जांच की, जिसमें पता चला कि महिला का आर-एच नेगेटिव ब्लड ग्रुप था, जो बच्चे को नहीं चढ़ पा रहा था। साथ ही इस महिला में एंटीबॉडीज थीं जो इस बच्चे को भी खत्म कर देंगी, ऐसे में इस बच्चे को बचाने का एक ही तरीका था कि मां के पेट के अंदर ही बच्चे को ये ब्लड चढ़ाया जाए।
डॉ. नीना कहती हैं कि आरएच नेगेटिव ब्लड ग्रुप रेयर ऑफ द रेयरेस्ट है और एक लाख लोगों में किसी एक का ही होता है। ऐसे में बच्चे को बचाने के लिए भारत के सभी बड़े अस्पतालों और ब्लड बैंकों में इस ब्लड का पता लगाया तो कहीं भी यह ब्लड नहीं मिला। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय दुर्लभ ब्लड पैनल में एक भारतीय व्यक्ति इस ब्लड ब्लड ग्रुप का मिला, लेकिन उसने खून देने से मना कर दिया। इसके बाद इस रेयर ब्लड की मांग इंटरनेशनल ब्लड रजिस्ट्री के सामने की गई, जिसमें जापान की रेड क्रॉस सोसायटी ने इस खून के उपलब्ध होने की बात कही।
उसके बाद जापान से इस ब्लड की 4 यूनिट तत्काल भारत भेजी गईं। 48 घंटे में यह ब्लड भारत के एम्स पहुंच गया और महिला के पेट के अंदर पल रहे बच्चे को चढ़ाया गया। इसके बाद महिला की डिलिवरी हुई और स्वस्थ बच्ची पैदा हुई।