नई दिल्लीः दिल्ली, यूपी, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों के नाबालिग बच्चों को कश्मीर में बंधुआ मजदूरी के लिए बेचा जा रहा है। आउटर नॉर्थ जिला पुलिस ने मानव तस्करी में लिप्त एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश कर 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने 7 माह की जांच में गिरोह से 3 नाबालिगों को मुक्त कराया है। जिसमें 2 लड़कियां और एक लड़का शामिल है। गिरोह बच्चों को 30 हजार से एक लाख रुपये में बेचकर पूरी रकम खुद रखता था।
पुलिस ने बताया कि गिरोह के कुछ सदस्य अब भी फरार हैं और उनकी तलाश जारी है। इस केस ने साफ कर दिया है कि दिल्ली से कश्मीर तक फैला यह नेटवर्क मासूम बच्चों को आसानी से जाल में फंसा रहा था। जांच एजेंसियां अब बच्चों की सुरक्षा और ऐसे प्लेसमेंट एजेंसियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी की तैयारी कर रही हैं। जांच से पता चला कि अनिल और उसके साथी रेलवे-बस अड्डों पर घूमकर नाराज होकर घर छोड़ने वाले बच्चों को फंसाते हैं। फिर ये लोग उन्हें श्रीनगर स्थित प्लेसमेंट एजेंसियों तक पहुंचाते। सतनाम नाम का एजेंट वहां बच्चों को घरेलू कामकाज के लिए बांटता था। गिरोह के एजेंट बिहार, झारखंड, बंगाल, असम और त्रिपुरा में भी सक्रिय हैं।
पुलिस के मुताबिक श्रीनगर की प्लेसमेंट एजेंसियां बच्चों का कोई रजिस्टर तक नहीं रखतीं, जिससे उनकी निगरानी मुश्किल हो जाती है। बता दें कि यह मामला बीते साल दिसंबर का है, जब भलस्वा डेरी इलाके से 13 और 15 साल की दो बच्चियां लापता हो गईं। 15 वर्षीय किशोरी ने परिजनों से डांट खाने के बाद सहेली के साथ घर छोड़ा था। एफआईआर दर्ज होने के बाद इंस्पेक्टर राजीव रंजन की टीम ने जांच शुरू की। दोनों के इंस्टाग्राम अकाउंट खंगाले गए तो पता चला कि 15 वर्षीय किशोरी जम्मू निवासी चंचल से ऑनलाइन संपर्क में थी। चंचल ने किशोरी को पैसे भी भेजे थे। उसने पुलिस को बताया कि बच्चियां उसके पास आने वाली थीं, लेकिन उसने उन्हें मना कर घर लौटने की सलाह दी थी।
जांच यहीं अटक गई थी कि जुलाई में चंचल को अंजान नंबर से मिस्ड कॉल आने लगे। टीम को इस नंबर की सूचना दी। छानबीन में यह नंबर श्रीनगर की फिरदौस कॉलोनी में काम करने वाली घरेलू नौकरानी का निकला। पूछताछ से खुलासा हुआ कि दिल्ली से लापता किशोरियां वहीं काम कर रही हैं। इसके बाद अगस्त में पुलिस ने श्रीनगर और दिल्ली-एनसीआर से सूरज, सलीम, तालिब और सतनाम को दबोच लिया। इनकी निशानदेही पर दोनों किशोरियों और गाजियाबाद से लापता हुए एक किशोर को छुड़ाया गया।
पुलिस पूछताछ में 15 वर्षीय किशोरी ने बताया कि पढ़ाई के लिए परिजनों से डांट खाने के बाद वह घर छोड़कर गई थी। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उन्हें अनिल मिला। उसने अच्छी जिंदगी देने का झांसा दिया और श्रीनगर ले जाकर सलीम को सौंप दिया। वहां दोनों को अलग-अलग घरों में बेच दिया गया। फोन छीन लिए गए और परिजनों से सम्पर्क पूरी तरह बंद कर दिया गया। किशोरी ने चंचल का नंबर याद रखा और एक नौकरानी के फोन से सम्पर्क करने की कोशिश की। इसी से पुलिस तक सुराग पहुंचा।