विकट परिस्थितियों में सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए

विकट परिस्थितियों में सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए

रावमा पाठशाला घरेड में एनएसएस शिविर हुआ संपन्न

समापन समारोह की अध्यक्षता एस.एम.सी प्रधान सुमन देवी ने की


बददी/सचिन बैंसल:
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला घरेड में राष्ट्रीय सेवा योजना का सात दिवसीय कैंप समाप्त हो गया समापन समारोह की मुख्य अतिथि स्कूल प्रबंधन समिति की अध्यक्ष सुमन देवी थी। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित करके हुई। निशा और कृष्णा ने वंदे मातरम स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कृष्णा देवी ने एन.एस.एस गीत, अर्जुन और उसके साथियों ने एनएसएस भाषण, भावना देवी ने हम होंगे कामयाब देश भक्ति गीत गाया। रोहित और उसके साथियों ने हरियाणवी गिद्दा, नेहा और उसकी सहेलियों ने युगल गीत संस्कार और नशा मुक्ति पर नृत्य गुलशन और निखिल द्वारा पेश किया गया। पंजाबी गिददा मोनिका और उसकी सहेलियों ने प्रस्तुत किया।  मंच का संचालन मीनाक्षी और संस्कार द्वारा किया गया।

एनएसएस प्रभारी सीमा देवी इतिहास प्रवक्ता ने सभी स्वयंसेवकों को स्मृति चिन्ह दिए और अपने संबोधन में सभी बच्चों का एनएसएस के सात दिवसीय शिविर में अनुशासन का पालन और कार्य में बढ़ चढक़र कार्य करने की सराहना की और सभी बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।  प्रधानाचार्य सीमा चौहान ने भी एनएसएस सदस्यों और समस्त अध्यापक गणों का सहयोग के लिए धन्यवाद किया। समापन समारोह की मुख्य अतिथि एसएमसी प्रधान सुमन देवी ने कहा कि सेवा के दौरान हम लोगों की न्याय युक्त आशाओं को पूरा करते हैं, और उन्हें खुशियां पहुंचाते हैं । सेवा के दौरान हम लेने की आशा का सर्वथा त्याग करते हैं। शरीर के नाते ,परिवार के नाते ,देश और मित्रता के नाते अपना कर्तव्य समझकर सेवा कर स्वयं भी खुशी होते हैं, और जिस मानव की हम सेवा करते हैं वो भी खुश होता है। सेवा से हम प्रसन्नता और खुशी का अनुभव करते हैं। यदि धन का सामर्थ्य ना भी हो तो दूसरों के दुख से दुखी हो, और दूसरे के सुख में हम सुखी हो जाएं, यह सेवा हम बिना रुपए पैसे के बिना बल के बिना सामग्री के कर सकते हैं, उनके लिए हम प्रार्थना करें।

दरअसल सेवा एक हृदय का भाव है और अगर यह भाव हृदय में उपस्थित हो तो बाकी साधन अपने आप ही हम अपने सामर्थ्य के अनुसार सेवा में लगा देते हैं। चाहे तन से सेवा करनी हो, मन से सेवा हो ,धन की सेवा हो, या समय देकर सेवा करनी पड़े बाकी सारे साधन वस्तुएं हमारे हृदय की भावना पर निर्भर होते हैं। सेवा करने की भावना, सेवा के लिए संबंध ,हमारे जीवन को प्रसन्नता और खुशियों से भरता है। हमारी इस भावना से मन में हमें शांति , खुशियां और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद मिलती है। सेवा करने की भावना से हम अपने पास उपस्थित वस्तु का सदुपयोग कर पाते हैं उन्हें जरूरतमंद तक पहुंचाते हैं और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।

उन्होने कहा कि हर इंसान को सेवा के विभिन्न तरीके सीखने चाहिए। हम अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों की आज्ञा का पालन कर उनकी भी सेवा कर सकते हैं। किसी जरूरतमंद की तन, मन, धन से सेवा कर भी उसकी मदद कर सकते हैं ,जो हमारे जीवन में खुशियो की तरंगों का संचार करती है। महेंद्र लाल ने मुख्य अतिथि सुमन देवी का स्वागत किया अमर लाल शास्त्री ने एनएसएस शिविर के अनुभवों के माध्यम से अवगत कराया कि हर समय निस्वार्थ में विकट परिस्थितियों में सहायता करने के लिए तैयार रहना चाहिए अंत में एनएसएस के सह प्रभारी करण ठाकुर ने सभी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया।