धर्म: हिंदू धर्म में एकादशी का खास महत्व बताया गया है। सालभर में कुल 24 एकादशियां आती है और हर एकादशी की अपनी धार्मिक मान्यता होती है। पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी बहुत ही पवित्र मानी जाती है। इस एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इश दिन किया गया व्रत और पूजा पितरों को समर्पित होती है और उन्हें मोक्ष मिलता है।
17 सितंबर को रखा जाएगा व्रत
द्रिक पंचागों के अनुसार, इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर बुधवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि की शुरुआत सुबह 12:21 पर होगी और इसका समापन रात 11:39 पर होगा। इसी दिन एकादशी का व्रत रखा जाएगा। व्रत का पारण अगले दिन 18 सितंबर को होगा। पंचाग के अनुसार, 18 सितंबर को सुबह 6:07 से लेकर 8:34 बचे के बीच स्नान-ध्यान करके पूजा-पाठ के बाद व्रत खोल सकते हैं।
इसलिए खास है इंदिरा एकादशी
इस एकादशी को श्राद्ध एकादशी भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और तर्पण करने से जातक के पापों का नाश होता है और उनके पूर्वजों को मोक्ष मिलता है। ऐसा करने से साधक को सुख-समृद्धि और शांति मिलती है। माना जाता है कि इस व्रत को करने वाला जातक सांसारिक सुखों का आनंद लेने के बाद अंत में बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है।
इस व्रत की पूजा विधि भी बहुत ही खास होती है। सुबह उठकर नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें और फिर व्रत का संकल्प लें। पितरों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखकर दीपक जलाएं। उन्हें पीले फूल और मिठाई चढ़ाएं क्योंकि पीला रंग श्रीहरि को बहुत ही प्रिय होता है। इसके बाद पूजा सामग्री चढ़ाकर व्रत की कथा सुनें और अंत में भगवान विष्णु की आरती करके सबको प्रसाद बांटें।
इन चीजों का करें दान
इस दिन पितरों की शांति और संतुष्टि के लिए इस दिन दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। घी, दूध, दही और अन्न का दान करें। इससे घर में सुख-समृद्धि और धन की बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा जरुरतमंदों को खाना खिलाएं इससे पितृ प्रसन्न होंगे और परिवार पर उनका आशीर्वाद भी बना रहेगा।