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Saavan में क्यों जरूरी है शिव पुराण पढ़ना, सुनने से क्या होते हैं लाभ?, जानें

शिव जी का प्रिय माह सावन शुरू हो चुका है। सावन में शिव पुराण पढ़ने या सुनने का बड़ा महत्व है। सावन के अलावा भी आप पूरे साल कभी भी शिव पुराण का पाठ या श्रवण कर सकते हैं। शिव पुराण में भगवान शिव के महात्म और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं का वर्णन है। शिव भक्तों के लिए शिव पुराण का विशेष महत्व है। शिव पुराण में भगवान शिव के स्वरूप का वर्णन, उनके रहस्य, महिमा और उपासना के बारे में बताया गया है। शिव पुराण सभी सिद्धांत से संपन्न भक्ति को बढ़ाने वाला, शिव जी को संतुष्ट करने वाला और अमृत के समान एक दिव्य शास्त्र है। सबसे पहले शिवजी ने ही इसका प्रवचन स्वयं किया था। गुरु वेद व्यास ने सनत्कुमार मुनि का उपदेश सुनकर इस पुराण की रचना की थी। कलयुग में यह पुराण लोगों के हितों को पूर्ण करना वाला शास्त्र है।

शिव पुराण बहुत ही उत्तम शास्त्र है। इस धरती पर सभी लोगों को भगवान शिव के परम विशाल स्वरूप को समझना चाहिए। इसको पढ़ने और सुनने मात्र से ही सर्व चीजें सुलभ हो जाती हैं। इसका पाठ करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके प्रभाव से व्यक्ति पाप से मुक्त हो जाता है। वह संसार के सभी सुखों का उपभोग करता है और अंत में शिवलोक में स्थान पाता है।

शिव पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति शिव भक्ति करता है, वह श्रेष्ठतम स्थिति प्राप्त करता है, उसे शिव पद प्राप्त हो जाता है। शिव पुराण को श्रद्धापूर्वक सुनने से मुनष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है और अपने जीवन में बड़े भोगों का उपभोग करता है। जीवन के अंत में वह शिवलोक में स्थान प्राप्त करता है।

शिव पुराण में 24 हजार श्लोक हैं। इसमें 7 संहिताएं हैं। शिव पुराण परमब्रह्म परमात्मा के समान गति प्रदान करने वाला है। सभी व्यक्ति को संयम और भक्ति भाव से शिव पुराण को सुनना चाहिए। जो व्यक्ति प्रतिदिन शिव पुराण का पाठ प्रेम भाव से करता है, व​ह निश्चित ही परम पुण्यात्मा है। भगवान शिव उस व्यक्ति पर प्रसन्न होते हैं और उसे अपने धाम में स्थान देते हैं, जो व्यक्ति सम्मानपूर्वक शिव पुराण की पूजा करता है, वह हमेशा सुखी रहता है। ​वह शिव पद को प्राप्त करता है।

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