हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।इसका मतलब है कि हनुमान जी को नौ प्रकार की दिव्य निधियों (नवनिधि) देने का अधिकार है। ये निधियां केवल भौतिक संपत्ति ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक शक्तियों और समृद्धि का प्रतीक भी हैं।
नवनिधि सिद्धि क्या है?
नवनिधि सिद्धि का अर्थ है नौ दिव्य निधियों पर पूर्ण अधिकार।
- पुराणों के अनुसार ये निधियां भगवान कुबेर की संपत्ति मानी जाती हैं।
- हनुमान जी इन निधियों के स्वामी हैं।
- वे इनका उपयोग स्वयं नहीं करते, बल्कि योग्य भक्तों को देते हैं।
- हनुमान जी की भक्ति से साधक को धन, स्वास्थ्य, सम्मान और मोक्ष तक की प्राप्ति होती है।
चालीसा में उल्लेख है कि यह वरदान माता जानकी (सीता जी) से मिला। यह दिखाता है कि हनुमान जी की भक्ति और सेवा कितनी महान है।

नवनिधियां कौन-कौन सी हैं?
शास्त्रों में नौ निधियों का वर्णन इस प्रकार है
- पद्म – कमल जैसी शुद्धता, सौभाग्य और समृद्धि।
- महापद्म – असीम धन और वैभव।
- शंख – कीर्ति, सम्मान और सफलता।
- मकर – शक्ति और सुरक्षा।
- कच्छप – स्थिरता और दीर्घायु।
- मुक्ता – सौंदर्य और शांति।
- नील – दुर्लभ और मूल्यवान संपदा।
- खर्व – विशाल धन।
- कण – सूक्ष्म लेकिन अनंत विस्तार वाली निधि।
इन निधियों से केवल धन ही नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन, सम्मान और आध्यात्मिक शक्ति भी मिलती है।
नवनिधि सिद्धि का आध्यात्मिक महत्व
- यह सिद्धि केवल भौतिक लाभ नहीं, बल्कि मन की शांति, स्वास्थ्य और मोक्ष का मार्ग भी देती है।
- हनुमान जी की भक्ति से साधक संतोष, संयम, सेवा और शुद्ध आचरण सीखता है।
- यह सिद्धि साधना, मंत्र जप और ईश्वर की कृपा से प्राप्त होती है।
- हनुमान जी स्वयं इन शक्तियों का उपयोग नहीं करते, बल्कि भक्तों को देते हैं। यह उनकी निस्वार्थ भक्ति और महानता का प्रतीक है।