हेल्थः जैसा की आप सब जानते है कि इन दिनों नवरात्र चल रहे है। देखा गया है कि जैसी ही नवरात्र आते है लोग लहसुन और प्याज खाना बंद कर देते हैं। ये माना जाता है कि लहसुन और प्याज तामसिक भोजन है, लिहाज इनका सेवन नहीं करना चाहिए। आखिर पवित्र दिनों में इन दोनों से दूरी क्यों बना ली जाती है।
प्याज को आयुर्वेद तामसिक कहता है तो लहसुन को राजसिक। शास्त्रों में तो सख्त तौर पर ब्राह्मणों को इन दोनों से निषेध रखते इनसे दूर रहने को कहा गया है। शरीर की बायोलॉजिकल क्रियाओं पर भोजन कैसे प्रभाव डालता है, इसे लेकर आमतौर से आयुर्वेद में भोजन को तीन रूपों में बांटा गया है। सात्विक, तामसिक और राजसी। इन तीन तरह के भोजन करने पर शरीर में सत, तमस और रज गुणों का संचार होता है।
सात्विक भोजन का संबंध सत शब्द से बताया गया है। इसका मतलब ये है कि शुद्ध, प्राकृतिक और पाचन में आसान भोजन हो। इस शब्द से दूसरा अर्थ रस का भी निकलता है यानी जिसमें जीवन के लिए उपयोगी रस हो। ताज़े फल, ताज़ी सब्ज़ियां, दही, दूध सात्विक हैं। इनका प्रयोग किया जाना अच्छा है।
राजसिक भोजन बेहद मिर्च मसालेदार, चटपटा और उत्तेजना पैदा करने वाला खाना है। इन दोनों ही तरह के भोजनों को स्वास्थ्य और मन के विकास के लिए लाभदायक नहीं बल्कि नुकसानदायक बताया गया है। कहा गया है कि ऐसे भोजन से शरीर में विकार और वासनाएं पैदा होती हैं। आयुर्वेद का वैज्ञानिक सिद्धांत मौसमों के अनुसार उपयुक्त भोजन करने की बात पर ज़ोर देता है।