धर्म: हिंदू धर्म में तिलक का बहुत ही महत्व बताया गया है। यह सिर्फ सजावट या दिखावे का प्रतीक नहीं माना जाता बल्कि इसको ईश्वर की भक्ति और आध्यात्मिकता के खास चिन्ह के तौर पर देखा जाता है। वहीं मथुरा-वृंदावन के जाने-माने संत प्रेमानंद महाराज भी अपने माथे पर हमेशा चंदन का तिलक लगाकर रखते हैं। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि प्रेमानंद महाराज माथे पर तिलक क्यों लगाते हैं।
महाराज से व्यक्ति ने किया सवाल
अब हाल ही में एक भक्त ने प्रेमानंद से प्रश्न किया। व्यक्ति ने उनसे पूछा कि तिलक लगाना दिखावा होता है या नहीं। इस पर उत्तर देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा कि – ‘हमने जो माथे पर चंदन लगाया है वो दिखाने के लिए नहीं है। हमारे आचार्य परंपरा में तिलक की रचना की आज्ञा दी गई है’।
महारानी को अर्पित किया प्रसाद है तिलक
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि- ‘हम जो माथे पर चंदन लगाते हैं वह कोई सजावट नहीं बल्कि महारानी जी को अर्पित किया हुआ एक प्रसाद है। इसे माथे पर धारण करना भक्ति की पहचान है। आगे महाराज ने कहा कि कंठी हमारे गुरु ने दी है माला हमारे गुरु ने दी है और ये वेशभूषा भी हमारे गुरु ने ही दी है ये सब हमारी उपासना के प्रतीक है बल्कि न कोई दिखावे के’।
‘अगर हम यह सोचें कि तिलक या कंठी न लगाएं ताकि लोग हमें दिखावटी न समझें तो यह हमारी उपासना का अपमान होगा और हमारी उपासना रद्द हो जाएगी। तिलक कंठी कोई दिखावा नहीं है ये हमारा सुहाग है। जैसे एक सौभाग्यवती स्त्री अपने पति के लिए सोलह श्रृंगार करती है वैसे ही हम भगवती जन अपने ईष्ट का श्रृंगार करते हैं’।
‘ये हमारे भगवान के चिन्ह है जिनके द्वारा हमारा दासत्व पुष्प होता है। इसको ऐसा खिलवाड़ मत समझना क्योंकि ये हमारी आराधना है’। आगे प्रेमानंद महाराज ने कहा कि – ‘भक्ति में बनावटीपन नहीं होना चाहिए यदि माला जप रहे हैं तो सिर्फ दिखाने के लिए नहीं बल्कि प्रेम से भजन करने के लिए करें’।
‘अगर कोई सामने आ जाए तो दिखावे के लिए ध्यानमग्न होने का नाटक न करें क्योंकि इस तरह का आचरण भक्ति नहीं अहंकार का रुप होता है। सच्ची भक्ति वही होती है जिसमें आडंबर नहीं सिर्फ समर्पण और प्रेम है’।