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आखिर क्यों लगाया Donald Trump ने दूसरे देशों पर Tariff? जानें अमेरिकी राष्ट्रपति की रणनीति

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नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में आयात होने वाले सामान पर टैरिफ लगा दिया है। इस टैरिफ को लेकर उनका कहना है कि इससे अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगा और रोजगार पैदा होंगे। वहीं आलोचकों का इस पर कहना है कि टैरिफ के चलते अमेरिका में चीजों की कीमतें बढ़ जाएगी और इकोनॉमी को भी भारी नुकसान पहुंचेगा।

आखिर क्या होता है टैरिफ?

टैरिफ का अर्थ है विदेशी सामानों और सेवाओं पर लगाया गया टैक्स। इसके अंतर्गत सामान को बेचने वाली कंपनी सीमा पार होने पर दूसरे देश की सरकार को टैरिफ के तौर पर यह टैक्स अदा करती है। इस टैक्स से विदेश में आयात होने वाला सामान महंगा हो जाता है परंतु सरकार को टैक्स से फायदा होता है। अमेरिका के द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाया गया है ऐसे में इसका अर्थ है कि यदि कोई चीज भारत में 100 रुपये में बिक रही है तो वो अब अमेरिका में टैरिफ के साथ 150 रुपये में बिकेगी। इससे साफ है कि टैरिफ के तौर पर वसूला जाने वाले एक्स्ट्रा 50 रुपये अमेरिका की सरकार के खजाने में जुड़ेंगे हालांकि इसका पूरा दबाव आम अमेरिका के नागिरकों और वहां की कंपनियों पर होगा।

विदेशी उत्पाद होंगे महंगे

विदेशी उत्पाद उस समय सस्ते होते हैं जब उसको ज्यादा ग्राहक खरीदते हैं। वहीं टैरिफ के कारण से जब विदेशी वस्तुएं मंहगी होती हैं तो लोग अपने देश में बनी हुई चीजों को ही ज्यादा प्राथमिकता देते हैं। इससे लोकल मैन्यूफैक्चरिंग भी तेज होता है। कई बार स्थानीय कंपनियां कम सामान आयान करने का फैसला भी लेती हैं। ट्रंप का यह कहना है कि टैरिफ से टैक्स के तौर पर सरकार की कमाई बढ़ जाएगी, उपभोक्ताओं को ज्यादा अमेरिकी सामान खरीदने के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा और अमेरिका में निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

इसलिए ट्रंप ने लगाया टैरिफ

ट्रंप अमेरिका में हुआ व्यापार घाटा कम करना चाहते हैं। दूसरे देशों से खरीदे जाने वाले सामान और उन्हें बेचे जाने वाले सामान के मूल्य के बीच का अंतर। ट्रंप का यह कहना है कि दूसरे देशों ने अमेरिका का शोषण किया है और विदेशियों ने उसको लूटा है। ट्रंप ने यह कहा था कि – हमारे देश को बाकी देशों ने लूट लिया है। अमेरिकी टैक्सपेयर्स को 50 सालों से ऐसे ही लूटा जा रहा है परंतु अब ऐसा नहीं होगा। मैं दुनिया भर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने वाले एक ऐतिहासिक कार्यकारी आदेश पर भी हस्ताक्षर कर रहा हूं। रेसिप्रोकल इसका अर्थ है कि वे हमारे साथ जैसा कर रहे हैं वैसा ही हम उनके साथ करेंगे।

रुस को भी दी थी धमकी

चीन, मेक्सिको और कनाडा के खिलाफ टैरिफ का ऐलान करते हुए ट्रंप ने यह कह दिया था कि इन देशों को अमेरिका में प्रवासियों और अवैध ड्रग्स की पहुंच को रोकने के लिए और भी ज्यादा प्रयास करने चाहिए। उन्होंने रुस के साथ कारोबार करने वाले देशों पर भी टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उनका कहना है कि जब तक यूक्रेन में जंग को खत्म करने की दिशा में कोई समझौता नहीं होता तब तक टैरिफ लगा रहेगा।

जब से टैरिफ की घोषणा हुई बाद में उनमें कई तरह के बदलाव हुए या उन्हें कुछ समय के लिए टाल भी दिया। ट्रंप के टैरिफ को कई कानूनी चुनौतियां का भी सामना करना पड़ा है। अगस्त में एक अमेरिकी अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए यह कहा कि ट्रंप के लगाए गए ज्यादातर टैरिफ अवैध हैं।

इन देशों पर लगाया टैरिफ

ट्रंप ने भारतीय चीजों पर 50% टैरिफ लगाया जिसमें रुस के साथ व्यापार करने को लेकर 25% जुर्माने के तौर पर शामिल है। ब्राजीलियाई वस्तुओं पर ट्रंप ने 50%, वियतनामी वस्तुओं पर 20%, जापानी वस्तुओं पर 15% टैरिफ, दक्षिण कोरियाई पर 15% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।

चीन और अमेरिका ने एक-दूसरे के सामानों पर 100% से ज्यादा टैरिफ लगाने की धमकी दी थी हालांकि दोनों देश अपने व्यापार युद्धविराम को 10 नवंबर तक बढ़ाने पर सहमति जताई है।

कनाडा पर ट्रंप ने 35% टैरिफ लगाया है हालांकि अब दोनों देशों में बात चल रही है। अमेरिका भी अपनी बात चीत कर रहा है। कनाडा के पीएम मार्क कार्नी का यह कहना है कि उनका देश ज्यादातर वस्तुओं को फ्री ट्रेड डील के लिए कुछ प्रतिशोधात्मक शुल्क हटा दिया जाएगा। मैक्सिको को अक्टूबर के अंत तक 30% या उससे ज्यादा की छूट दी गई है ताकि समझौते के लिए थोड़ा समय मिले।

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