टेकः गर्मी के तवर दिखने शुरू हो गए है। ऐसे में घरों या दफ्तरों की बात करें तो वहां AC चलना शुरू हो गए है। AC चलाने से पहले ज्यादातर लोग उसकी सर्विस या उसमें गैस डलवाते है, लेकिन क्या आपको पता है कि आपके AC के लिए कौन सी गैस सही है। आज हम आपको इसी मुद्दे पर अपडेट करेंगे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आपके AC या फ्रिज में वह गैस न डाली जाए जिसके लिए उस AC/फ्रिज को बनाया गया है, तो आपका नुकसान हो सकता है।
AC और फ्रिज में कई तरह की गैसे डलती हैं। इन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इनमें मुख्य रूप से R-32, R-12, R-290, हायड्रोकार्बन आदि। यह अलग-अलग प्रकार की गैसे अलग-अलग तरह के एयर कंडीशनर में डाली जाती हैं। जैसे कि स्प्लिट AC में ज्यादातर R-32 नाम की गैस डाली जाती है। एक से डेढ़ टन के विंडो AC में हायड्रोकार्बन गैस का इस्तमाल होता है। इसी तरह इनवर्टर AC में ज्यादातर R-32 गैस का ही इस्तेमाल होता है। दुनियाभर में R-32 गैस को ईकोफ्रेंडली माना जाता है। इसका ओजोन लेयर पर कोई असर नहीं होता। इसी तरह हायड्रोकार्बन या R290 गैस को भी वातावरण के लिए सुरक्षित माना जाता है। वहीं R-12 गैस को भारत समेत 100 से ज्यादा देश बैन कर चुके हैं।
AC में वही गैस डलवाना अच्छा रहता है जिसके लिए उसे बनाया गया है। AC टेक्नीशियन्स के अनुसार अगर आपके AC में गलत गैस डाली जाए तो कम ठंडक से लेकर AC के अन्य पार्ट्स खराब होने जैसी शिकायत आ सकती है। इसमें AC में आग लगने की संभावना भी बनी रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ गैसें ज्वलनशील होती हैं। अगर ज्वलनशील गैसों का इस्तेमाल उन AC में किया जाए जो कि इस तरह की गैसों के लिए नहीं बने, तो एयर कंडीशनर में आग भी लग सकती है।
अब बारी आती है यह जानने कि आपके AC में कौन सी गैस है? यह पता लगाने के कुछ तरीके हैं जिनका इस्तेमाल करके आप पता लगा सकते हैं। सबसे पहले तो अगर आपके पास आपके AC का मैन्युअल है, तो उसे पढ़ें। मैन्युअल में AC के बारे में हर तरह की जानकारी मौजूद होती है। अगर किसी वजह से आपके पास मैन्युअल नहीं है, तो अपने AC की अच्छे से जांच करें। उस पर लगा कोई लेबल आपको इस बात की जानकारी दे देगा कि आपके AC में कौन सी गैस डाली जानी चाहिए।
कैन वाली गैस या सिलेंडर वाली गैस
भारत में टेक्नीशिन अक्सर दो तरीकों से गैस AC में डालते हैं। कैन के जरिए या सिलेंडर के जरिए। इन दोनों के फर्क को समझते हैं। कैन में आने वाली गैस ब्रांडेड होती है और उसमें किसी तरह की मिलावट की गुंजाइश नहीं रह जाती। वहीं कुछ टेक्नीशियन थोक विक्रेता से गैस अपने निजी सिलेंडर में भरवा कर रखते हैं। जानकारों ने बताया कि दोनों ही चीजें एक सी हैं लेकिन सिलेंडर में भरी गैस में मिलावट की गुंजाइश रह जाती है इसलिए कैन वाली गैस का इस्तेमाल बेहतर रहता है।