आज CM नायब सैनी ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, क्या सुप्रीम कोर्ट का करेंगे रुख
चंडीगढ़ः केंद्र सरकार ने हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे भाखड़ा जल विवाद का मुद्दा लगातार गरमाता दिखाई दे रहा है। बीते दिन पंजाब सरकार ने सभी पार्टियों के साथ मिलकर इस मुद्दे को लेकर बैठक की थी। जिसमें पंजाब भाजपा प्रधान सुनील जाखड़ ने भी कहा था कि वह पंजाब के पानी की अतिरिक्त एक बूंद किसी राज्य को नहीं देंगे। जिसके बाद केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्य सचिव के साथ बैठक हुई। इस बैठक में केंद्र ने पानी के मुद्दे का हल निकाल लिया है।
दरअसल, दिल्ली में हुई बैठक में केंद्र ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को उसके प्रस्ताव के अनुसार हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने को कहा है। इस प्रस्ताव के अनुसार हरियाणा को अगले आठ दिनों तक 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी दिया जाएगा। इसमें से थोड़ा पानी राजस्थान को भी जाएगा। इसके बदले में बीबीएमबी पंजाब को भी जरूरत पड़ने पर उसकी अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने के लिए पानी उपलब्ध कराएगा। हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने की रूपरेखा तैयार करने के लिए बीबीएमबी ने शनिवार को बोर्ड की बैठक बुलाई है।
हालांकि बीते दिन दोनों राज्यों की सरकारें पानी को लेकर अपनी-अपनी रणनीति बनाती रहीं। हरियाणा सरकार ने पानी न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। राज्य की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने बताया कि सरकार दस्तावेज तैयार करा रही है। सरकार पानी से संबंधित सभी तथ्य सुप्रीम कोर्ट में रखेगी। वहीं, सैनी सरकार ने इस मामले में शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुला ली है। हरियाणा सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक शनिवार दोपहर 2 बजे हरियाणा निवास में होगी। इसमें भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, आप, बसपा, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों को बुलाया गया है।
पंजाब सरकार ने भी इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसमें सभी दलों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के फैसले का समर्थन किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि सोमवार को इस मुद्दे पर पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के बाद सभी दलों का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेगा, ताकि सालों से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच चले आ रहे इस जल विवाद का ठोस हल निकाला जा सके।
भगवंत मान ने कहा कि मानवता के आधार पर उन्होंने हरियाणा को 4 हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराया, लेकिन 27 अप्रैल को उन्होंने 8500 क्यूसेक पानी की मांग की। अगर वह इस मांग को पूरा करते तो वह पंजाब के हकों का हनन होता। जिस तरह बीबीएमबी ने रातोंरात फैसला लेकर पंजाब का पानी जबरन छीनने का कदम उठाया, वह निंदा योग्य है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी में पंजाब के अधिकारियों में से नियुक्त सदस्य (पावर) को हटाकर पंजाब को कमजोर करने की भी निंदा की।