धर्म: अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि का खास महत्व है। इस दिन शरद पूर्णिमा भी होती है और महार्षि वाल्मीकि जयंती भी मनाई जाती है। वाल्मीकि जी ने हिंदू धर्म के सबसे जरुरी महाकाव्यों में से एक रामायण की रचना की थी। महार्षि वाल्मीकि को ही संसार का पहला महाकवि माना जाता है। इस बार वाल्मीकि जयंती की तारीख को लेकर लोगों में थोड़ी कंफ्यूजन है।
7 अक्टूबर को मनाई जाएगी वाल्मीकि जयंती
हिंदू पंचागों के अनुसार, इस बार अश्विन पूर्णिमा की तिथि सोमवार 6 अक्टूबर को दोपहर 12:24 पर शुरु होगी। मंगलवार 7 अक्टूबर सुबह 9:17 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में 6 और 7 अक्टूबर दोनों ही दिन आश्विन महीने की पूर्णिमा का संयोग बन रहा है परंतु पूर्णिमा तिथि का व्रत 6 अक्टूबर को किया जाएगा ऐसे में वाल्मीकि जंयती 7 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
राम-राम नाम का जाप करने से बदला था जीवन
रामायण के रचयिता महार्षि वाल्मीकि का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था परंतु उन्होंने छोटी उम्र में ही घर छोड़कर वैराग्य जीवन अपना लिया था। लोक कथाओं के अनुसार, एक दिन वे महार्षि नारद जी के साथ मिले। नारदजी ने उनको आत्मज्ञान और सत्य का रास्ता दिखाया। नारदजी ने उनको राम-राम नाम का जाप करवाया। इसके बाद से उनका जीवन बदल गया।
आदिकवि के तौर पर जाने जाते हैं महार्षि वाल्मीकि
वाल्मीकि जी ने भगवान श्रीराम के जीवन, संघर्ष, आदर्श और धर्म की स्थापना की कथा को महाकाव्य रामायण के रुप में लिखा। आगे चलकर जब माता सीता को वनवास मिला तब वाल्मीकि जी ने उन्हें अपने आश्रम में स्थान दिया था। उनके दोनों पुत्रों लव और कुश का जन्म भी इसी आश्रम में हुआ और उन्होंने ही वाल्मीकि जी से रामायण का ज्ञान प्राप्त किया था। रामायण में करीबन 24,000 श्लोक हैं। यह संस्कृत के सबसे प्राचीन महाकाव्यों में से एक है। महार्षि वाल्मीकि जी को महाकवि भी कहते हैं।