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संयुक्त किसान मोर्चा अब राष्ट्रपति के समक्ष उठा सकती है मांगें, किया ऐलान

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मोहालीः खनौरी और शंभू बॉर्डर पर किसानों द्वारा लगातार शांतिमय ढंग से प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 28 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हुए है, उनकी हालात ज्यादा गंभीर बनी हुई है। वहीं अब संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वह अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। उन्होंने जनवरी के पहले हफ्ते में राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। दरअसल, मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। जिसके बाद किसान संगठन एसकेएम ने घोषणा करते हुए कहा कि हम भारत के राष्ट्रपति या कृषि मंत्री से संपर्क करेंगे। यदि राष्ट्रपति उपलब्ध नहीं हैं तो कृषि मंत्री से मिलेंगे। हमने जनवरी के पहले हफ्ते में मिलने का समय मांगा है।

बैठक के बाद किसान नेता प्रेम सिंह भंगू ने कहा किसानों की एकता को लेकर काफी गंभीर हैं। एकता को लेकर हमारी एक बैठक 21 दिसंबर को हो चुकी है, इसको आगे बढ़ाते रहेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल देश के राष्ट्रपति या केंद्रीय कृषि मंत्री से जनवरी के पहले हफ्ते में मिलेगा। इसमें दूसरे मोर्चे के साथी भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर जगजीत डलेवाल को कुछ हो जाता है तो पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है। इस वक्त हालत बेहद नाजुक हैं इसलिए सरकार को जल्द इसमें रास्ता निकलना चाहिए और हमारी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। 9 जनवरी को मोगा में किसानों का बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उनके दिल्ली मार्च को रोक दिया था। पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर हैं, ताकि केंद्र पर आंदोलनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाया जा सके, जिसमें फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी भी शामिल है।

फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है।

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