पठानकोटः रणजीत सागर डैम जोकि 3 राज्यों से घिरा हुआ है, जिनमें पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। हर साल तीनों राज्यों से अपने-अपने हिस्से की तरफ आने वाली झील का ठेका मछली पकड़ने वाले ठेकेदारों को दिया जाता है, जिससे विभाग को आर्थिक लाभ भी होता है। इस साल रणजीत सागर डैम के पंजाब हिस्से से आने वाली झील का ठेका 42 लाख रुपए में हुआ था और ठेकेदार ने इसके लिए अपने कर्मचारी रखे हुए हैं।
जून का महीना नजदीक आने के साथ ही मछली पकड़ने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा हुआ है और कोई शरारती तत्व झील में घुसकर मछली न पकड़ ले, इसके लिए ठेकेदार ने अपने 4 कर्मचारियों को रात के समय तैनात कर रखा था जो पंजाब की सीमा में बैठे हुए थे, जिनमें से 2 को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रताड़ित किया है और उनसे बुरी तरह मारपीट की गई। दोनों ने मौके से भागकर अपनी जान बचाई।
इस संबंध में आरोप लगाते हुए फरीद मुहम्मद और सुगर दीन ने बताया कि वे झील की सुरक्षा के लिए पंजाब वाले हिस्से में बैठे हुए थे, तभी जम्मू-कश्मीर पुलिस आई और पहले तो उनके साथ मारपीट की और बाद में उन्हें थाने ले गए, जहां पर उन्हें फिर से प्रताड़ित किया गया, जिसके बाद परिजनों ने उन्हें वहां से निकालकर इलाज के लिए सिविल अस्पताल पठानकोट में भर्ती करवाया।
दोनों युवकों के शरीर पर जहां डंडों के निशान है वहीं कई जगह दांतों के निशान भी हैं। इन पीड़ितों का कहना है कि इस पूरी घटना के समय जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान नशे में थे और नशे की हालत में उन्होंने पंजाब में घुसकर उनके साथ अत्याचार किया। उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए और आरोपियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
ठेकेदार आमसता मुहम्मद ने बताया कि रात के समय उनके 4 कर्मचारी रंजीत सागर डैम झील की रखवाली के लिए बैठे थे, ताकि कोई छिपकर मछलियां न पकड़ सके। इस दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पंजाब में घुसकर हमारे कर्मचारियों के साथ मारपीट की और जिसे देखकर 2 कर्मचारी वहां से भाग गए और पुलिस ने उन दोनों को पकड़ लिया और थाने ले गई, जहां उनके साथ बड़े पैमाने पर मारपीट की गई। हम मांग करते हैं कि इन पीड़ितों को न्याय दिया जाए और इस घटना में शामिल पुलिस कर्मी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।