धर्म: देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह धूमधाम के साथ किया जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन बहुत ही धार्मिक और आध्यात्मिक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा के बाद जागते हैं और विष्णु का विवाह तुलसी देवी (वृंदा) के साथ करवाया जाता है। यह दिन कार्तिक मास की सबसे शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। इस दिन तुलसी और शालीग्राम (भगवान विष्णु का स्वरुप) का विवाह विधि-विधान के साथ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करवाने से जीवन में वैवाहिक सुख, संतुलन, सफलता और शांति बनी रहती है। इस दिन से हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों के शुभ कार्मों की शुरुआत भी हो जाती है। देवउठनी एकादशी तक शादी, गृहप्रवेश, मुंडन जैसे शुभ और मांगलिक काम वर्जित माने जाते हैं लेकिन तुलसी विवाह के बाद इन सभी कामों के लिए शुभ मुहूर्त शुरु हो जाता है।
2 नवंबर को मनाया जाएगा तुलसी विवाह
पंचागों के अनुसार, कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 2 नवंबर सुबह 7:33 मिनट से शुरु होगी। इस तिथि का समापन 3 नवंबर सुबह 2:07 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, इस साल 2 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाएगा।
विवाह के लिए शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त की यदि बात करें तो शाम 5:35 मिनट से शुरु होगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 5:35 से शुरु होकर 6:01 मिनट तक रहेगा। तुलसी विवाह वाले दिन ब्रह्मा मुहूर्त सुबह 4:50 मिनट से लेकर 5:42 मिनट तक है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:42 से लेकर दोपहर 12:26 तक रहेगा। तुलसी विवाह पर व्याघात योग भी रहेगा। इसके अलावा सवार्थ सिद्धि योग इस दिन शाम 5:03 से लेकर 3 नवंबर की सुबह तक रहेगा।
विवाह की विधि
इस दिन सबसे पहले घर की अच्छे से साफ-सफाई करें। पूजा करने वाले व्यक्ति को पीले वस्त्र पहनने चाहिए क्योंकि पीला रंग सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। अब एक साफ लाल कपड़े के साथ मंडप बनाएं। मंडप को फूलों, आम के पत्तों और केले के तन्नों के साथ सजाएं। तुलसी के पौधे को मंडप मे रखे और उनके बाद भगवान शालिग्राम जी की स्थापना करें। शालीग्राम जी को नए कपड़े पहनाएं। तुलसी माता को लाल चुनरी ओढ़ाएं। इसके बाद शालिग्राम जी और मां तुलसी को फूलों की माला पहनाएं। अब दोनों का विवाह संस्कार पूरा करने के लिए सात फेरे करवाएं।
जब फेरे पूरे हो जाएं तो पूरे परिवार के सदस्यों को मिलकर फूलों की बारिश करवानी चाहिए। भगवान विष्णु तथा तुलसी माता से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। अंत में तुलसी और शालिग्राम जी की आरती करें और उन्हें मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं।