धर्म: हर साल की तरह इस बार भी करवाचौथ के त्योहार को लेकर महिलाएं बहुत उत्साहित हैं। इस बार यह व्रत 10 अक्टूबर यानी की कल रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं। कई जगह कुंवारी कन्याएं भी अच्छे पति की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर व्रत रखने से वैवाहिक जीवन की सभा बाधाएं दूर होती हैं।
करवा चौथ पर बन रहे शुभ संयोग
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, माता सती ने भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था। इसके अलावा इस तिथि कि संबंध भगवान गणेश के साथ भी है इसलिए करवाचौथ वाले दिन भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस बार करवा चौथ बहुत ही खास माना जा रहा है क्योंकि कई सारे शुभ संयोग इस दिन बनने वाले हैं। करवा चौथ की तिथि 9 अक्टूबर 10:54 मिनट पर शुरु होगी और इसका समापन 10 अक्टूबर को शाम 7:37 पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
चांद निकलने का समय
इस बार करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय 8:14 मिनट से शुरु होगा। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस बार करवाचौथ पर सिद्धि योग और शिववास योग बन रहा है। सिद्धि योग और शिववास योग करवा चौथ पर 200 साल के बाद एक साथ बन रहे हैं।
सिद्धि योग का महत्व
पंचांग के अनुसार, इस दिन सिद्धि योग शाम 5:41 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, करवा चौथ की तिथि पर यह योग बनना बहुत ही शुभ माना जाता है। यह योग किसी भी काम में सफलता और सिद्धि दिलवाने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस योग में की गई पूजा और साधना खासतौर पर फलदायी मानी जाती है। माना जा रहा है कि करवाचौथ वाले दिन सिद्धि योग में व्रत रखने और पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल मिलेगा।
शिववास योग का महत्व
इस बार करवाचौथ पर शिववास योग भी बन रहा है। शिव वास का अर्थ है भगवान शिव का निवास। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब शिववास कैलाश पर होता है तो यह समय पूजा-पाठ, रुद्राभिषेक और व्रत के लिए बहुत खास माना जाता है। इस योग में पूजा करने से भगवान शिव और मां पार्वती का जल्दी आशीर्वाद मिलता है।