मुंबई: 26 नवंबर की रात देश के लिए बहुत ही डरावनी रात थी। इस दिन भारत की आर्थिक राजधानी के तौर पर पहचाने जाने वाली मुंबई पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। मुंबई के आलीशान ताज होटल पर आतंकियों ने कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते आतंकी मुंबई में आए थे और कई बड़ी लोकेशन्स पर सिलसिलेवार तरीके से आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। उस काली रात को 17 साल हो गए हैं लेकिन आज भी कोई उसे भूल नहीं पाया है।
लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने किया था हमला
ताज महल होटल से लेकर ट्राइडेंट होटल, नरीमन हाउस, कोलाबा कॉजवे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनल समेत कई जगहों पर बम ब्लास्ट हुआ था। इन हमलों में 150 लोगों की जान चली गई थी। मृतकों की इस लिस्ट में मुंबई पुलिस के कई सीनियर अधिकारियों के नाम भी शामिल थे। इस हमले को 26/11 के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान के खूंखार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने सोची समझी साजिश के अंतर्गत इस हमले को अंजाम दिया था।
आम लोगों को बनाया था निशान
26 नवंबर की रात में एक के बाद एक हमले हुए। स्थिति प्रशासन के हाथ से निकल गई थी और आतंकवादी मुंबई पर एक तरह से कब्जा करके बैठ गए थे। आतंकवादियों ने एके-47 हेंडग्रेनेड और बाकी खतरनाक हथियारों के साथ आम लोगों को निशाना बनाया था। उन्होंने विदेशी नागरिकों को भी बंधक बना लिया और उनकी हत्या की ताकि सरकार पर ज्यादा से ज्यादा दबाव बनाया जा सके। 26 नवंबर को शुरु हुआ हमला 29 नवंबर तक चलता रहा। देश के सुरक्षा कर्मी आतंकवादियों का मुकाबला करते रहे और बंधकों की रिहाई कराते थे। एनएसजी कमांडो ने आतंकवादियों को खत्म किया था और 9 आतंकवादी मारे गए। सिर्फ एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था। होटल ताज में सैंकड़ों विदेशी मेहमान थे जिनको बंधक बना लिया गया था। भारत सरकार पर भी दबाव बढ़ गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने पूरी तातक लगाकर सभी आतंकियों को मार गिराया था।
सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ा था आतंकी अजमल कसाब
सुरक्षा एजेंसियों ने मुंबई हमले के एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया था। उसकी गिरफ्तारी से मुंबई हमले का सच सामने आया और पुलिस को यह पता चला कि कैसे उन्होंने भारत में प्रवेश किया है। उनकी योजना क्या थी और हमले के पीछे क्या मकसद था। अक्सर यह होता है कि आतंकवादी घटनाओं की जांच संभावनाओं पर ही होती है क्योंकि आतंकी घटना के बाद मारे जाते हैं। कसाब की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा एजेंसियों को जरुरी जानकारी मिली थी।
28 नवंबर को ट्राइडेंट होटल को आतंकियों के झांसे से छुड़ा लिया था। 29 नवंबर की सुबह 9 बजे तक ताज होटल में भी आतंकियों का सफाया हो गया था हालांकि यह हमला दश को हमेशा के लिए एक गहरा जख्म दे गया था। इस जख्म की यादें आज भी हर भारतीय को डरा कर रख देती है।