हेल्थः दुनिया भर के लाखों पुरुष फेफड़ों के कैंसर से प्रभावित हैं। फेफड़ों के कैंसर का सबसे महत्वपूर्ण कारक धूम्रपान है। बचपन की सबसे आम बीमारियों में से एक अस्थमा है। वैश्विक स्तर पर लगभग 10% 6 से 7 वर्ष की आयु के बच्चों को अस्थमा की समस्या का प्रचलन है। इसमें फेफड़ों की सूजन के कारण श्वसन मार्ग में सूजन हो जाती है, जिस कारण सांस लेने में कठिनाई होती है। इसकी समस्या में फेफड़े में होने वाली सूजन यदि लंबे समय तक रहे तो यह कैंसर को जन्म दे सकती है। पुरुषों में श्वसन संबंधी बीमारियां बहुत ही गंभीर समस्याएं हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक श्वसन संबंधी बीमारियां जीवन की गुणवत्ता और आयु को बुरी तरीके से प्रभावित करती हैं। अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियां होने के लिए विभिन्न कारक है, जैसे- तंबाकू का सेवन, पर्यावरण में मौजूद प्रदूषण, अनुवांशिक इतिहास और कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है। इसके लक्षणों को देखा जा सकता है। पुरुषों में फेफड़े का कैंसर होने पर लगातार खांसी की समस्या होती है। यह समय के साथ बढ़ती ही जाती है। कई बार खांसी में खून आने की समस्या भी हो सकती है। लगातार सीने में दर्द होना और सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है। बहुत कम कार्य करने पर भी ज्यादा थकान होना, भूख न लगना या काफी तेजी से वजन कम होना बिना किसी कारण के बुखार आना, बार-बार निमोनिया या ब्रोंकाइटिस का होना और चेहरे और गर्दन में सूजन आ जाना यह सभी फेफड़ों के कैंसर के लक्षण है।
