शिमला में निहत्थे हिंदुओं पर लाठी चार्ज और वाटर गेलेन चलाना लोकतंत्र की हत्या
ऊना/सुशील पंडित : शिमला के संजौली में विवादित मस्जिद पर कल की लाठी चार्ज की घटना के बाद देव भूमि का माहौल शान्त होने का नाम नहीं ले रहा है। यह हिमाचल प्रदेश के सभी हिन्दू संगठन जगह जगह इसका विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं बहीं अखिल भारतीय सन्त परिषद् के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के प्रभारी यति सत्यदेवानंद सरस्वती शिष्य महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने मीडिया में बयान देकर कहा है कि जो बात हिमाचल प्रदेश के मंत्री श्द्ध राणा ने विधान सभा में कही है बह 2017 से सत्ताधारियों को प्रशासन को बताते आ रहें हैं कि हिमाचल प्रदेश में रोहिंग्या तथा बंगला देशी अवैध रूप से बस गए है और अब बह शिमला के नगर निगम के सफाई कार्यालय में रोहिंग्या व बंगला देशी मुसलमान कार्य कर रहे हैं जो स्थाई लोगों के घरों में जा रहे हैं। लेकिन उस वक्त प्रशासन ने हमारी बात को नकार दिया था आज बही बाते हमारे मंत्री और मीडिया बता रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि आज यह जो आक्रोश हिन्दू समाज में हुआ है इसका करना विपक्ष और सता धारी हैं। आज की विपक्ष के नेताओं ने मुस्लिमो के बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर 2019, 20 ने इस विवादित मस्जिद की पांच मंजिले बनवा दी। जबकि इसका केस उच्च न्यायालय में विचाराधीन था।
आज जब शिमला के स्थाई लोगो को इन मुस्लिम द्वारा पीटा गया तब जाकर पीटा गया तब जाकर देव भूमि के हिन्दू समाज का गुस्सा फूटा और आंदोलन शुरू हुआ। परन्तु जिस प्रकार शिमला प्रशासन ने निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज किया है यह लोकतंत्र की हत्या है तथा असहनीय है। अब यह तय हो गया है कि हिंदुओं का कोई नेता और कोई कानून नहीं है अब यह आक्रोश जब तक एक भी अवैध मस्जिद और अवैध लोगों को देव भूमि से बाहर किए बिना नहीं रुकेगा।
यह देव भूमि हमारी है और इसकी सुरक्षा हम स्वयं करेंगे।
उन्होंने देव भूमि के हिन्दू समाज को संदेश देते हुए कहा कि जो समाज के लोग घरों में बैठे हुए है बह यह न सोचे कि यह जो घरों से निकल कर लाठियां खा रहे हैं और अपने पर केस लगवा रहे हैं वह उनकी लड़ाई लड़ रहे हैं।
सबको अपने हिस्से की लड़ाई स्वयं लड़नी पड़ेगी इसलिए अपनी बच्चियों की सुरक्षा के लिए वह भी अपने अपने क्षेत्र में विरोध दर्ज करवाएं और जो संघर्ष कर रहे हैं उनका साथ दें।
बक्फबार्ड संशोधन बिल पर उन्होंने कहा की इसका संशोधन नही बल्कि बक्फबॉर्ड को खत्म किया जाना चाहिए।
क्योंकि 1947 में बटवारे के वक्त इनको पाकिस्तान दे दिया था यह तो उस वक्त के सताधारियों ने पता नही किस स्वार्थ के चलते यह बोर्ड बना दिया। अब समय इस बात का नही अब समय यह तय करने का है कि भारत में कोन रहेगा? जल्द ही यह देश गृह युद्ध की और बढ़ रहा है। जो जीतेगा वो ही रहेगा।