हेल्थः डायबिटीज-हाई कोलेस्ट्रॉल उन बीमारियों में से हैं जो किसी भी उम्र में हो सकती हैं। अक्सर लोगों को इन बीमारियों के लक्षण जब तक नजर नहीं आते वो लोग उनकी जांच नहीं कराते या फिर ये नहीं मानते कि उन्हें ऐसी कोई समस्या है। अक्सर सभी आंखों की समस्याओं को सिर्फ नजर से जोड़कर देखते हैं जैसे धुंधला दिखना, सिरदर्द या देर तक स्क्रीन देखने से जलन, लेकिन डॉक्टर मानते हैं कि आंखें आपके सेहत में आ रही गड़बड़ियों को भी काफी आराम से बता सकते हैं। कई बार डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां शुरुआत में कोई बड़ा लक्षण नहीं देतीं लेकिन उनके पहले संकेत आंखों और आंखों के आसपास दिखने लगते हैं।
यदि आपकी आंखों की पलकों पर और उनके अंदरूनी कोनों के पास पीले या हल्के सफेद धब्बे दिखने लगें तो उन्हें जैंथेलाज्मा कहा जाता है और ये अक्सर खून में बढ़े कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकते हैं। कई बार आंख की रंगीन पुतली के चारों ओर सफेद या ग्रे रंग की रिंग दिखाई देने लगती है। इसे कॉर्नियल आर्कस कहा जाता है। बुजुर्गों में यह उम्र से जुड़ा सामान्य बदलाव हो सकता है लेकिन 40 साल से कम उम्र में इसका दिखना हाई कोलेस्ट्रॉल का रेड फ्लैग माना जाता है। यह रिंग आंख की कॉर्निया में फैट जमा होने से बनती है और आमतौर पर नजर पर असर नहीं डालती।
अगर आपकी नजर कभी साफ और कभी अचानक धुंधली हो जाती है तो इसे सिर्फ थकान या मोबाइल स्क्रीन का असर मान लेना सही नहीं। ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव का असर सीधे आंखों के लेंस पर पड़ता है जिससे फोकस बदल जाता है और नजर धुंधली हो सकती है।
आंखों में लगातार लालिमा, तैरते हुए काले धब्बे (फ्लोटर्स), रोशनी की चमक या अचानक नजर कम होना जैसे लक्षण कभी भी नजरअंदाज नहीं करने चाहिए। डायबिटीज के मरीजों में यह डायबिटिक रेटिनोपैथी का संकेत हो सकता है। वहीं हाई ब्लड शुगर आंखों की बारीक नसों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है।