नई दिल्ली : भारत औषधियों और आयुर्वेदिक इकाइयों का प्रमुख स्रोत है। पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां पेड़ पौधों की पूजा की जाती है और उन्हें औषधी के रुप में प्रयोग किया जाता है। पीपल के पेड़ का धार्मिक और संस्कृतिक महत्व है। कई पूजा पाठ के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। शनिवार को लोग पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाते हैं। पीपल का पेड़ हिंदू धर्म में एक विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है। तभी आपने इसे लगभग हर मंदिर या आध्यात्मिक स्थान पर देखा होगा। पीपल के पेड़ को धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को वृक्षों में पीपल के समान बताया है। अगर धार्मिक मान्यताओं को देखें, तो पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव का निवास स्थान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसकी जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में शिव का वास होता है।

इसे पूजने से व्यक्ति को त्रिदेवों की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में पीपल को मोक्ष का वृक्ष माना गया है। पीपल के पेड़ के नीचे भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसलिए इसे “बोधि वृक्ष” कहा जाता है। बौद्ध धर्म में पीपल को जागरूकता और आत्मज्ञान का प्रतीक माना गया है। पीपल का पेड़ जन्म और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतीक है। इसे पूजने से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है। यह पेड़ ध्यान और योग के लिए आदर्श स्थान माना जाता है। पीपल का वृक्ष 24 घंटे ऑक्सीजन देता है, इसलिए इसे जीवन का रक्षक भी कहा जाता है। अगर आपको बहुत ज्यादा शारीरिक कमजोरी महसूस होती है तो इसके लिए पीपल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। पीपल के पत्तों का सेवन करने से शरीर की कमजोरी और थकान को कम किया जा सकता है। इसके लिए पीपल के पत्तों को सुखा लें और पाउडर बना लें। अब इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें और इसे सुबह शाम खाएं। इस तरह पीपल के पत्तों का इस्तेमाल करने से शरीर को मजबूत बनाया जा सकता है।
कहा जाता है पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर तप, योग और साधना करने से शांति और ज्ञान मिलता है। सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं पीपल के पेड़ और उसके पत्तों का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है। इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो सूजन और दर्द को दूर भगाते हैं। पीपल पत्ते खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है। शरीर को इंफेक्शन से बचाने में मदद मिलती है। सांस के मरीज खांसी, अस्थमा, और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए पीपल के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं।.पीपल के पत्ते फाइबर से भरपूर होते हैं। इन्हें खाने से पाचन को दुरुस्त किया जा सकता है। इनका सेवन करने से आंतों की एक्टिविटी बढ़ाती है और कब्ज दूर होती है।
पीपत के पत्तों का सेवन करने से आंतों की सफाई होती है और इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आंतों में आई किसी तरह की सूजन को भी रोकते हैं। पीपल के पत्तों का सेवन करने से डायरिया जैसी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। पीपल के पत्ते आंतों और पेट में जमा टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इससे खून में आई खराबियों को दूर किया जा सकता है। पीपल के पत्तों का अर्क निकालकर सेवन कररने से आंतों का इंफेक्शन दूर होता है। इससे पाचन से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, एसिडिटी और अपच दूर होती है। पीपल के पत्ते आंतों के लिए एक नेचुरल उपाय है। दिव्य वृक्ष यानि पीपल के पत्तों का उपयोग कर पाचन में सुधार लाया जा सकता है। पीपल के पत्तों का इस्तेमाल करने से गैस, एसिडिटी, अपच और दस्त जैसी समस्याओं में राहत मिल सकती है। स्किन के लिए भी पीपल के पत्ते दवा की तरह काम करते है।