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सोलह सिंगी धार में बन रहा खेल मैदान सुंदरता में दिलाएगा धर्मशाला क्रिकेट मैदान की याद

35 लाख से निर्मित 35 कनाल की भूमि पर खेल मैदान में इस बार होगा तीन दिवसीय जिला स्तरीय पीपलू मेला

खेल मैदान बनने से पर्यटन संस्कृति और खेल को मिलेगा नया आयाम: विवेक शर्मा 

ऊना/सुशील पंडित: कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में सोलह सिंगी धार के ऊंचे टीले पर स्थित नरसिंह नारायण मंदिर पीपलू अब एक नई पहचान की ओर अग्रसर हो चुका है। सोलह सिंगी धार की ख़ूबसूरत पहाड़ियों की गोद में पीपलू के पास 35 कनाल भूमि पर 35 लाख से बन रहा खेल मैदान न केवल क्षेत्र की खेल गतिविधियों को नई दिशा देगा, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरेगा। यह मैदान आने वाले समय में धर्मशाला मैदान जैसी सुंदरता और सुविधाओं का प्रतीक बन सकता है। तीन दिवसीय जिला स्तरीय पीपलू मेला कुटलैहड़ क्षेत्र की संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।

यह मेला पिछले 15 वर्षों से निरंतर जिला स्तरीय आयोजित होता आ रहा है और इसमें स्थानीय जनता के साथ-साथ आसपास के विस क्षेत्रों एवं जिलों से भी भारी संख्या में लोग भाग लेते हैं। हालांकि, मेले के आयोजन स्थल की सीमित क्षमता के कारण हर वर्ष भीड़भाड़ की स्थिति उत्पन्न होती थी, जिससे मेले के आयोजन में कई बार असुविधाएं सामने आती थीं। जनता की लंबे समय से यह मांग रही थी कि मेले के आयोजन के लिए एक बड़ा और समतल मैदान तैयार किया जाए ताकि मेले को और भव्य एवं सुव्यवस्थित रूप से मनाया जा सके। अंततः यह सपना साकार हो रहा है।

पीपलू में खेल मैदान निर्माण की नींव विधायक विवेक शर्मा की पहल

बीते वर्ष जिला स्तरीय पीपलू मेले के दौरान कुटलैहड़ विधानसभा के विधायक  विवेक शर्मा ने मंच से यह घोषणा की थी कि अगला मेला एक भव्य और विशाल मैदान में आयोजित किया जाएगा। इस घोषणा को अब मूर्त रूप दिया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सहयोग से इस योजना को धरातल पर उतारा है।

35 लाख रुपये की लागत से 35 कनाल भूमि पर यह मैदान तैयार किया जा रहा है। कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो चुका है और लक्ष्य है कि इस वर्ष का तीन दिवसीय जिला स्तरीय पीपलू मेला जो 5 जून से 7 जून तक इसी मैदान में आयोजित किया जाए। यह खेल मैदान केवल एक सांस्कृतिक आयोजन स्थल नहीं होगा, बल्कि यह एक बहुउद्देश्यीय खेल परिसर के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। क्षेत्र के युवाओं को खेलों में भागीदारी का अवसर मिलेगा और साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थल महत्वपूर्ण बन सकता है। सोलह सिंगी धार की पहाड़ियों के बीच स्थित यह मैदान प्राकृतिक दृष्टि से भी अत्यंत सुंदर है और यदि उचित योजनाएं बनाई जाएं तो यह मैदान हिमाचल प्रदेश के शीर्ष पर्यटन स्थलों में शामिल हो सकता है।

कुटलैहड़ के ऐतिहासिक तीन दिवसीय जिला स्तरीय पीपलू मेले के लिए खेल मैदान निर्माण के लिए फॉरेस्ट विभाग से जरूरी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया गया है। यह क्षेत्र वन भूमि के अंतर्गत आता था, जहां कुछ सूखे पेड़ मौजूद थे। वन विभाग द्वारा इन पेड़ों के काटने की अनुमति दी गई ताकि मैदान को समतल और उपयुक्त बनाया जा सके।

डीएफओ सुशील राणा ने बताया कि केवल सूखे और बाधा बन रहे पेड़ों के कटान की अनुमति दी गई है और इस प्रक्रिया में पर्यावरण संतुलन का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। स्थानीय जनता के बीच इस मैदान के निर्माण को लेकर भारी उत्साह है। लोगों को विश्वास है कि यह मैदान न केवल पीपलू मेले की दशा और दिशा बदलेगा बल्कि बच्चों और युवाओं के लिए खेल प्रशिक्षण, टूर्नामेंट्स और अन्य आयोजनों का एक स्थायी केंद्र बनेगा। इसके अलावा, क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा क्योंकि मेला और खेल गतिविधियों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे होटल, दुकान, टैक्सी सेवा जैसे छोटे व्यापारों को भी लाभ होगा।

 

 

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