संसदीय स्थाई समिति ने किया समर्थन
पटियालाः केंद्र सरकार के लिए किसान आंदोलन गले की हड्डी बन चुका है। पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 28 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं। जाहिर है कि सरकार को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि किस तरह किसान आंदोलन को दिल्ली आने से रोका जाए। वहीं धीरे-धीरे राजनीतिक, धार्मिक और कलाकार लोग भी डल्लेवाल का हालचाल जानने खनौरी बॉर्डर पहुंच रहे है। वहीं आज शाही इमाम पंजाब मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी अपने साथियों के साथ ढबीगुजर खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मिलने पहुंचे। जहां उन्होंने डल्लेवाल से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना की।
इस बीच उन्होंने किसान नेताओं से भी बात की और केंद्र सरकार से किसानों के मुद्दे सुलझाने और जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरण व्रत खत्म कराने की अपील की। बता दें कि कैंसर बीमारी से परेशान डल्लेवाल की हालत खराब हो रही है, दूसरी ओर संसद की स्थाई समिति ने किसानों की डिमांड पर मुहर लगा दी है। अब सरकार की मुश्किल यह है कि न किसान मानने को तैयार हैं और न ही सरकार किसानों की हर मांग मानने की स्थिति में है। सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि बीच का रास्ता निकालने वाला कोई तेज तर्रार नेता दोनों तरफ से ही सामने नहीं आ रहा है।
इस बीच संसद की एक स्थाई समिति ने जिस तरह से किसान नेताओं के मुद्दों का समर्थन किया है उससे किसान नेताओं का मॉरल बूस्ट-अप हुआ है। हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार डल्लेवाल ने इस संसदीय समिति का हवाला देते हुए ही सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर अपील की है कि संसद की स्थाई समिति की ओर से सिफारिशों को लेकर केंद्र को निर्देश दिए जाएं। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार एक संसदीय पैनल ने सरकार को कृषि उपज के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने की सिफारिश की, जिसमें तर्क दिया गया कि इस तरह के उपाय से किसानों की आत्महत्या में काफी कमी आ सकती है और महत्वपूर्ण वित्तीय स्थिरता मिल सकती है।
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्थायी समिति ने कहा है कि समिति दृढ़ता से अनुशंसा करती है कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग जल्द से जल्द एमएसपी को कानूनी गारंटी के रूप में लागू करने के लिए रोडमैप घोषित करे। पैनल ने तर्क दिया कि कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी न केवल किसानों की आजीविका की रक्षा करेगा, बल्कि ग्रामीण आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को भी बढ़ाएगा। जाहिर है, इस सिफारिश के बाद किसानों को अपनी मांग पूरा करवाने की डिमांड करने का नैतिक बल मिला है।
वहीं दूसरी ओर 26 नवंबर से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल के चलते एक बार फिर किसान आंदोलन चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है। आमरण अनशन ने आंदोलन में नई जान फूंक दी है। राज्य की बड़ी पार्टियों के नेताओं समेत धार्मिक नेता इस आंदोलन को समर्थन देने आ रहे हैं। डल्लेवाल के कारण लोग इस हद तक आंदोलन से जुड़ गए हैं कि कई जगहों पर लोगों ने रेल रोकने के आह्वान पर अमल किया है। यही कारण है कि किसान आंदोलन के दूसरे चरण के शुरुआती दिनों में शंभू बॉर्डर से लोगों का फोकस खनौरी बॉर्डर पर चला गया है। दरअसल, डल्लेवाल की भूख हड़ताल खनौरी बॉर्डर पर ही चल रही है।
किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी भी डल्लेवाल से मिलने वहां पहुंचे थे। जाहिर है चढूनी के साथ आने से किसान आंदोलन के एक बार फिर से जोड़ पकड़ने की संभावना है। हरियाणा के कई किसान संगठन भी पहुंच रहे हैं। खनौरी बॉर्डर से करीब 5 किलोमीटर पहले तक हजारों की संख्या में किसानों की ट्रलियां खड़ीं हैं। कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी भी खनौरी बॉर्डर पहुंचकर डल्लेवाल से मुलाकात की। किसानों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में सांसदों के बीच धक्का-मुक्की होती है तो सभी वहां हालचाल पूछने जाते हैं, लेकिन यहां 27 दिनों से किसान नेता अनशन पर हैं और किसी ने सुध नहीं ली। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने 30 दिसंबर को पंजाब बंद की अपील की है।