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प्रदेश के उद्योग जगत को पूरी तरह निराश कर गया राज्य सरकार का दूसरा बजट

आशा थी कि इस बजट में विभिन्न टैक्सों में रियायतें मिलेंगी सस्ती बिजली मिलेगी

उद्योगों व कारखानों विशेषकर एमएसएमई सैक्टर की इसमें पूरी तरह अनदेखी की गई है  

 
सचिन बैंसलबददी :शनिवार को विधानसभा पेश किए गए बजट को लेकर हिमाचल व बीबीएन के उद्योग जगत ने अलग अलग प्रतिक्रियाएं दी है। उद्योग जगत से साफ कहा कि यह बजट प्रदेश के उद्यमियों की आशाओं के बिल्कुल विपरीत है और उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। उद्योग संगठनों ने कहा कि यह बजट सिर्फ सामाजिक बजट है और उद्योगों व कारखानों विशेषकर एमएसएमई सैक्टर की इसमें पूरी तरह अनदेखी की गई है।  उद्योगों को आशा थी कि उनको इस बजट में विभिन्न टैक्सों में रियायतें मिलेंगी वहीं सस्ती बिजली की मांग भी पूरी होगी तथा आधारभूत ढांचे सुधार होगा। अतिरिक्त गुडस टैक्स (एजीटी) को हटने के प्रति भी उद्योग जगत आशा की निगाह से देख रहा था लेकिन हुआ बिल्कुल उनकी उम्मीदों के प्रति विपरीत। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दूसरे बजट पर राज्य के उद्योग जगत व औद्योगिक संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया इस प्रकार प्रकट की-
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राज्य सरकार द्वारा पेश किया बजट आत्मनिर्भर हिमाचल की ओर एक कदम है, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू का ग्रीन हिमाचल का सपना देखना एक सराहनीय कदम है।  शीतलपुर से जकातखाना के लिए सडक़ का निर्माण बल्क ड्रग पार्क के लिए उद्यमियों के लिए जाना आसान हो जायेगा,  वही चुनिंदा इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी कम होने से उद्योगों पर पडऩे वाला आर्थिक बोझ कम होगा।
रोहित अरोड़ा
कार्यकारी अध्यक्ष, बिरला टैक्सटाईल मिल्स
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2024-2025  में नई स्टार्ट अप नीति लाने की घोषणा अच्छा कदम है। रसायनों, बिजली की आग और अन्य कारणों से लगी आग से निपटने के लिए विभिन्न उपायों के लिए एसओपी निर्धारित करना और विभिन्न कारणों से लगने वाली आग से निपटने के लिए सामग्री और उपकरणों के मानदंडों का मानकीकरण करना एक अच्छी घोषणा हैं। हम विद्युत शुल्क व एजीटी व सीजीसीआर को समाप्त करने की उम्मीद थी लेकिन यह नहीं हुई जिससे निराशा है।
यशवंत गुलेरिया
महासचिव बीबीएन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
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राज्य के इस वर्ष के बजट में कुछ भी विशेष प्रावधान माइक्रो और कॉटेज स्केल इंडस्ट्री के लिए नहीं देखा गया है। चार लाख की राशि महिलाओं को रोजगार शुरू करने के लिए बहुत ही कम है और कोई भी कार्य इसमें शुरू करना बहुत कठिन है। मेरा ऐसा मानना है की हमारे प्रदेश और फिर देश की आर्थिक व्यवस्था और हमारे पढ़े-लिखे नौजवानों को स्वावलंबी बनाने के लिए कॉटेज और माइक्रो स्केल के एडवेंचर्स के लिए सरकार को बहुत ज्यादा सहायता करनी चाहिए क्योंकि बड़ा बिजनेस के लिए पैसे का अरेंजमेंट करने के बहुत सारे और विकल्प हैं लेकिन एक वन मैन शो करने वाले व्यक्ति के लिए अभी तक कुछ भी वर्णन योग्य कार्य नहीं हो पाया है।
बलदेव गोयल, संरक्षक गत्ता उद्योग संघ
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प्रदेश सरकार का बजट हमारी उम्मीदों पर बिल्कुल खरा नहीं उतरा है और इसमें उद्योगों के लिए कुछ भी नहीं है। ऐसा लग रहा है कि मानो इसमें हिमाचल की आर्थिक रीड व रोजगार देने वाले इंडस्ट्री सैक्टर की पूरी तरह अनदेखी की गई है। सरकार ने इैलेक्ट्रिसिटी डयूटी सिर्फ उन उद्योगों की कम की है जो कि (2019) की औद्योगिक पालिसी में पांच साल के लिए छुट प्राप्त कर रहे थे बाकियों को बढ़ी हुई डयूटी देनी ही होगी।
सतीश सिंगला-उपाध्यक्ष-दवा निर्माता उद्योग संघ

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पलायन रोकन को कोई पालिसी नहीं-
उद्योगों को आशा थी की कुछ राहत पैकेज मिलेगा ऐसा कुछ नहीं हुआ। एजीटी अभी भी खत्म नहीं की और नए उद्योगों को आकर्षित करने के लिए कुछ ऐसा नहीं बजट में पेश किया गया जिससे नए उद्योग आकर्षित हो और जो जम्मू और कश्मीर की तरफ पलायन कर रहे हैं वह कैसे रुकें।
राजीव सिंगला, महासचिव स्टील इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
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यह बजट एमएसएमई को पूरी तरह निराश कर गया। हमें आशा थी कि इसमें बिजली की दरें कम करने की बात सामने आएगी । उन्होने कहा कि पड़ोसी राज्य हिमाचल से बिजली लेकर अपने उद्योगों को सस्ती दरों में देते है जबकि हमें मंहगी बिजली मिलती है तो प्रदेश में उद्योग टिकने का अब कोई ठोस कारण नहीं बचा है। उन्होने कहा कि राज्य सरकार ने प्लाटों की लीज 95 से 40 साल कर दी है और हमें आशा थी कि इस पर पुर्नविचार होगा लेकिन हमें निराशा ही हुई। बीबीएन में इंफॅ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए भी कोई बजट नहीं है।
-अशोक राना, प्रधान, लघु उद्योग संघ हिमाचल
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इस बजट में उद्योगों के लिए कुछ भी नहीं है खासकर पुराने व वर्तमान उद्योगों के लिए। शीतलपुर जगातखाना रोड का बनना एक अच्छी बात है जिससे कनेक्टिविटी सुधरेगी जिसके लिए सुक्खू सरकार का आभार। पुराने उद्योगों की बढी हुई इलैक्ट्रिसिटी वापिस लेनी चाहिए थी।
संदीप बक्शी
एच आर मैनेजर आयुर्वेट कंपनी हिमाचल

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