ऊना/सुशील पंडित: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ चल रही हिंसा अब किसी भ्रम या संयोग का परिणाम नहीं रही। यह एक सुनियोजित, संगठित और वैचारिक रूप से प्रेरित हिंसा है, जिसका उद्देश्य हिंदुओं को डराकर, तोड़कर और उनके अस्तित्व को समाप्त करना है। स्वामी विवेकानंद सेवा ट्रस्ट इस नरसंहार जैसी स्थिति की तीव्र शब्दों में निंदा करता है।
ट्रस्ट के अध्यक्ष गौरव कुमार ने कहा कि बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों से लगातार ऐसी भयावह घटनाएँ सामने आ रही हैं, जहाँ हिंदुओं के घर जलाए जा रहे हैं, मंदिरों को निशाना बनाकर तोड़ा जा रहा है, मूर्तियों का सार्वजनिक अपमान किया जा रहा है, महिलाओं के साथ बर्बरता की जा रही है और पूरे हिंदू समाज को जबरन पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा,“यह अत्याचार नहीं, यह हिंदुओं को मिटाने की कोशिश है। यह लोकतंत्र नहीं, यह भीड़तंत्र और कट्टरता की खुली तानाशाही है।” गौरव कुमार ने तीखे शब्दों में कहा कि यदि बांग्लादेश सरकार इन घटनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पा रही, तो यह उसकी अयोग्यता है, और यदि जानबूझकर चुप है, तो यह उसकी सीधी सहभागिता मानी जानी चाहिए।
हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर सरकार की चुप्पी अपराधियों को खुली छूट देने के समान है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और तथाकथित सेक्युलर ताकतों की चुप्पी भी उतनी ही घृणित और शर्मनाक है। जब-जब हिंदुओं पर हमला होता है, तब दुनिया की संवेदनशीलता अचानक अंधी और गूंगी हो जाती है।
स्वामी विवेकानंद सेवा ट्रस्ट स्पष्ट चेतावनी देता है की,बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को तुरंत नहीं रोका गया, तो यह एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संकट बनेगा। हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना बांग्लादेश सरकार की नैतिक, संवैधानिक और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी है। दोषियों को संरक्षण देने वाली किसी भी व्यवस्था को बेहद गंभीरता से कटघरे में खड़ा किया जाएगा।
ट्रस्ट भारत सरकार से मांग करता है कि वह कूटनीतिक शिष्टाचार छोड़कर इस विषय को संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय न्याय मंचों और वैश्विक शक्तियों के समक्ष सख्ती से उठाए। अब केवल बयान नहीं, दबाव और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है। गौरव कुमार ने सभी हिंदू संगठनों, सामाजिक संस्थाओं, संत समाज और राष्ट्रवादी नागरिकों से आह्वान किया कि अब चुप रहना पाप है। शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक लेकिन निर्णायक आंदोलन खड़ा करना समय की मांग है।