नई दिल्लीः पंजाब में मानसून के दौरान आई बाढ़ से राज्य में भारी नुकसान हुआ। इस मामले को लेकर जहां केंद्र राहत के लिए 1600 करोड़ रुपए देने का दावा कर रही है। वहीं पंजाब सरकार का कहना है कि केंद्र की ओर से बाढ़ को लेकर पंजाब को एक रुपए नहीं दिया गया। पंजाब में बाढ़ को लेकर गरमाया मुद्दा आज सासंद में भी गूंजा। जहां बाढ़ प्रभावित लोगों को सहायता उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय राशि तत्काल जारी करने की आप सरकार द्वारा लोक सभा में मांग की गई।
ससंद में उठा पंजाब में आई बाढ़ का मुद्दा, सासंद मालविंदर कंग ने केंद्र से की ये अपील pic.twitter.com/clNLOnQ2Sx
— Encounter India (@Encounter_India) December 3, 2025
दरअसल, लोकसभा में श्री आनंदपुर साहिब से आप के सांसद मालविंदर सिंह कंग ने शून्य काल में यह मामला उठाते हुए कहा कि राज्य के पाकिस्तान की सीमा से लगे 6 जिलों की 5 लाख एकड़ क्षेत्र में खड़ी फसल अगस्त और सितंबर में आई बाढ़ में पूरी तरह बर्बाद हो गई। बाढ़ से 25 गांव तबाह हो गए। वहीं इससे प्रभावित इलाके में स्कूल और अस्पताल तक को काफी नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि इन बाढ़ प्रभावितों के लिए केन्द्र सरकार की ओर से अब तक कोई राशि उपलब्ध नहीं करायी गई। सासंद मालविंदर कंग ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर केंद्र सरकार के कई मंत्रियों ने राज्य का दौरा किया, लेकिन अभी तक भी कोई मदद नहीं दी गई।
उन्होंने बिहार चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार में देश के प्रधानमंत्री द्वारा करोड़ों की बोली लगाई जाती हैं, जहां कहा जाता है कि 50 करोड़ रुपए दूं या 60 करोड़ रुपए दूं। मालविंदर कंग ने कहाकि एक तरफ पंजाब वह राज्य है, जिसने देश की आजादी के लिए और इस देश के अनाज भंडार भरने के लिए सबसे बड़ा योगदान दिया हो। उस प्रदेश को मुश्किल समय में अपने हालात पर छोड़ देना मुझे लगता है कि इससे ज्यादा भेदभाव नहीं हो सकता है। लेकिन जिस पंजाब ने देश को अनाज दिया है और आजादी में पंजाब ने अहम भूमिका निभाई है उससे भेदभाव क्यों।
इस दौरान उन्होंने राज्य के लिए 50 हजार करोड़ का स्पेशल पैकेज देने की मांग की है, ताकि पंजाब अपने पैरों पर खड़ा हो सके। मालविंद कंग ने कहा कि उसकी भारत सरकार से अपील है कि बाढ़ से जिन लोगों के सारे घर, कारोबार, सड़कें, अस्पताल सब तबाह हो गए हैं, 5 लाख एकड़ फसल तबाह हो गई उनके लिए स्पेशल पैकेज 50 हजार करोड़ भारत सरकार रिलीज करे। पंजाब के बॉर्डर के लोग जो देश की लड़ाई लड़ते हैं, वे अपने पैरों पर खड़ा हो सकें। वे अपने बच्चों का अच्छा भविष्य बना सकें।