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प्रदेश के 10 लाख आत्मनिर्भर किसान परिवारों की आय होगी प्रभावित

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प्राकृतिक खेती-खुशाल किसान योजना को बन्द करना किसान विरोधी निर्णय:सुमीत

स्थानीय गांव व ग्रामीण की बढ़ती आर्थिकता पर संकट बढ़ेगा

ऊना/ सुशील पंडित: प्रदेश भाजपा सचिव व हमीरपुर संसदीय क्षेत्र सह प्रभारी सुमीत शर्मा ने “प्राकृतिक खेती-खुशाल किसान” जैसी महत्वाकांक्षी योजना को बंद करने के निर्णय को किसान विरोधी तुगलकी फरमान करार दिया है। यहाँ जारी एक व्यान में सुमीत ने कहा कि पूर्व की जयराम सरकार ने किसान की आय को विविधता, कम लागत मूल्य, बाज़ार और स्थानीय देसी उत्पादों पर बल देकर खेती को बढ़ावा देने के किये वर्ष 2018 में इस विभिन्न अनुदान आधारित योजना को प्रारम्भ किया था। इस योजना के बंद होने से स्थानीय गांव व ग्रामीण की बढ़ती आर्थिकता पर संकट बढ़ेगा।

सुमीत ने बताया कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार अभी तक 1,71,664 से अधिक किसान बागवान  परिवारों ने इस खेती की विधि को पूर्ण या आंशिक भूमि पर अपना लिया है। प्रदेश की 99.8 प्रतिशत पंचायतों में यह विधि पहुंच बना चुकी है और 3,02,625 बीघा (24,210 हैक्टेयर) से अधिक भूमि पर इस विधि से खेती-बागवानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान खेती लागत को कम कर सकते हैं। इस विधि के तहत फसल विविधीकरण पर जोर दिया जाता है और मुख्य फसल के साथ फसल बढ़वार के लिए भूमि में नाइट्रोजन की उपलब्धता बनाए रखने हेतु दलहनी फसलें लगाने पर बल दिया जाता है। देसी गाय के गोबर और मूत्र पर आधारित विभिन्न आदानों के प्रयोग से देसी केंचुओं की संख्या में वृद्धि कर भूमि की जल धारण करने की शक्ति को बढ़ाया जाता है। जिससे अंततः भूमि की उर्वरा शक्ति को पुनर्जीवित किया गया है। फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए स्थानीय वनस्पतियों के साथ लहसुन और हरी मिर्च का प्रयोग किया जाता है।
     
सुमीत ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय नस्ल की गाय की खरीद पर 50 फीसदी अनुदान (अधिकतम 25 हजार तक) और 5 हजार रूपये यातायात शुल्क के तौर पर दिया जा रहा है। यही नहीं गौशाला के फर्श को पक्का कर गोमूत्र एकत्रीकरण के लिए गड्ढ़ा बनाने पर 8 हजार रूपये, आदान बनाने के लिए ड्रम लेने के पर 2,250 रूपये और संसाधन भंडार खोलने के लिए 10,000 रूपये प्रति परिवार को इस योजना के तहत दिए जा रहे हैं। अचानक 10 महीने बाद प्रत्येक गारंटी पर फेल होने के बाद अब सुक्खू सरकार ने इस योजना को बंद करने का निर्णय कर किसानों को आत्मनिर्भर बनाकर आय को बढाने के लक्ष्य से सरकार ने अपने सहयोग के हाथ पीछे खींच लिए हैं जोकि दुर्भाग्यपूर्ण व किसान विरोधी निर्णय है।

सुमीत ने बताया कि प्राकृतिक खेती-खुशहाल किसान’ योजना को देशभर में सराहना मिल रही है। नीति आयोग ने देशभर में प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन हेतू हिमाचल प्रदेश के मॉडल को आधार बनाया हुआ है। हिमाचल प्राकृतिक खेती को शुरू कर रहे देश के अलग-अलग राज्यों का भी सहयोग करता रहा है, इनमें गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं। यह योजना हिमाचल मानव मानक व पर्यावरण के उत्कृष्ट मानकों को पूर्ण करने में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। सुमीत ने चेतावनी दी कि अगर इस योजना को प्रदेश सरकार बंद करेगी तो प्रदेश के लाखों किसानों के हित में भाजपा सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने से भी परहेज नहीं करेगी।

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