धर्म: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यताओं के अनुसार, जो सालभर की 24 एकादशी का व्रत करता है उसे मोक्ष मिलता है। यह दिन व्रत, पूजा और किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। विशेष मनोकामना पूरी करने के लिए भी एकादशी व्रत का कास महत्व बताया गया है। साल 2026 में पहली एकादशी माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी होगी। इसको षटतिला नाम की एकादशी से भी जाना जाता है। यह व्रत 14 जनवरी 2026 को रखा जाएगा। इसी दिन मकर संक्रांति भी मनाई जाएगी।
एकादशी का शुभ मुहूर्त
माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी 13 जनवरी 2026 को दोपहर 3:17 पर शुरु होगी। यह अगले दिन जनवरी को शाम 5:52 पर खत्म होगी। इस दिन सुबह घर में सत्यनारायण भगवान की पूजा करना शुभ माना जाता है। षटतिला एकादशी पर मुहूर्त सुबह 7:15 से लेकर 9:53 तक रहेगा।
व्रत पारण का समय
षटतिला एकादशी में व्रत के पारण का समय 15 जनवरी सुबह 7:15 से लेकर सुबह 9:21 तक रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी भी खत्म हो जाएगी जिसका समय रात 8:16 का होगा।
एकादशी में इस्तेमाल होते हैं तिल
माघ महीने में आने वाले हर व्रत त्योहार में तिल का इस्तेमाल किया जाता है। तिल की उत्पत्ति विष्णु भगवान से हुई है। ऐसे में माघ महीने की एकादशी पर 6 तरह के तिल इस्तेमाल करने से श्री हरि की कृपा बरसती है। षट का अर्थ है छह और तिला का अर्थ है तिल। इसी कारण से इस एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस दिन तिल से स्नान करना, तिल के साथ हवन करना, तिल का दान करना. तिल से बना खाना खाना, पानी में तिल डालकर पीना और तिल भगवान को अर्पित करने चाहिए।
व्रत के दौरान रखें ध्यान
यदि आप एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो अन्न-चावल का सेवन न करें।
. इसके अलावा तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
. किसी भी तरह का कोई लड़ाई-झगड़ा न करें।
. घर और मंदिर की साफ-सफाई का ध्यान रखें क्योंकि साफ-सफाई वाली जगहों पर ही मां लक्ष्मी का निवास होता है।