नई दिल्ली: आज के समय में हर माता-पिता यही चाहते हैं कि बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाएं क्योंकि सरकारी स्कूलों से लोगों का विश्वास कम हो रहा है। लोगों का मानना है कि जो सुविधाएं उनको प्राइवेट स्कूलों में मिलती है वो सरकारी में मिल नहीं सकती परंतु प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए परिवार का खर्चा काफी हो जाता है।
सरकारी स्कूल की तुलना में प्राइवेट में ज्यादा पैसा
शिक्षा पर होने वाले खर्चे को पता करने के लिए कॉम्प्रिहेंसिव मॉड्यूल सर्वे एजुकेशन 2025 किया गया। इस सर्वे के लिए 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों को पूरा देशभर में कंप्यूटर की मदद से इंटरव्यू लिया गया। किए गए इस सरकारी सर्वे में यह पता चला है कि प्राइवेट स्कूलों में माता-पिता जितने भी पैसे लगा रहे हैं वो सरकारी स्कूलों की तुलना में बहुत ज्यादा है।
प्राइवेट स्कूलों में 95.7% छात्र कोर्स की देते हैं फीस
देश भर में ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूल में 66% नामांकन है वहीं शहरों में 30.1% नामांकन दर्ज है। यदि हम पूरे देश के सरकारी स्कूलों की करें तो 55.9% नामांकन सरकारी स्कूलों में दर्ज है परंतु इसमें से सिर्फ 26.7% छात्र ही स्कूलों में कोर्स की फीस देते हैं वहीं सरकार की तुलना में प्राइवेट स्कूलों में 95.7% छात्र कोर्स की फीस दे रहे हैं।
इस सर्वे से यह पता चलता है कि प्राइवेट स्कूलों का खर्चा काफी बढ़ चुका है। यदि इस साल की बात करें तो साल का सरकारी स्कूलों में लगने वाला औसतन खर्चा 2 हजार 863 रुपये है वहीं प्राइवेट स्कूलों में इसका औसत 25 हजार रुपये है। यह सरकारी स्कूलों में होने वाले के खर्चे से करीबन 8.8 गुना ज्यादा है।
शहरी क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों के कोर्स की फीस का औसत 15,143 रुपये है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कोर्स फीस का औसत 3,979 रुपये है। यह खर्चा यहीं खत्म नहीं होता इसमें किताबों के खर्चे और स्टेशनरी के खर्चे का कुल औसत 2002 रुपये है। इसके अलावा कोचिंग में काफी खर्चा लगता है। इस साल अब तक 27% बच्चे ऐसे हैं जो कोचिंग ले चुके हैं या कुछ अभी भी ले रहे हैं। कोचिंग के मामले में शहरी क्षेत्रों के छात्र, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में आगे हैं। शहरों में प्राइवेट कोचिंग पर लगने वाले खर्चे का औसत 3,988 रुपये है वहीं ग्रामीण इलाकों में यह 1,739 रुपये है। शहरों में 12वीं कक्षा की कोचिंग की फीस बढ़कर 9950 रुपये तक जा चुकी है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह फीस 4548 रुपये तक पहुंच गई है।
प्राइवेट स्कूलों मेें बढ़ रहा खर्चा
मंत्रालय ने इस सर्वे को अनुमानित बताया है। इसमें उन्होंने गलती की संभावना भी बताई है परंतु सर्वे से यह जरुर पता चला है कि प्राइवेट स्कूलों का खर्चा समय के साथ बढ़ता जा रहा है और इस खर्चे का सामना लोगों को करना पड़ रहा है।