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मुख्यमंत्री ने अपनी भड़ास निकालने का मंच बनाया आपदा राहत कार्यक्रम : जयराम ठाकुर

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एक्साइज पॉलिसी में अरविंद केजरीवाल जैसा खेल कर रहे हैं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 

ऊना/मण्डी/सुशील पंडित: मंडी में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा कि आपदा राहत के वितरण का कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने अपनी भड़ास निकालने का कार्यक्रम बना दिया। ऐसे मौकों पर सरकार को संवेदनशीलता दिखानी होती है। लेकिन भाषायी स्तर पर हर मर्यादा तोड़ी गई। पूरे कार्यक्रम का राजनीतिकरण हो सके इसीलिए सरकार ने जानबूझकर विपक्ष के विधायकों को इस मौके पर नहीं बुलाया। मुख्यमंत्री कहते हैं कि विधायकों को बुलाया गया था तो वह कार्ड दिखाएं। इसके बाद सरकार के बेलगाम मंत्री जिस तरीके से यहां पर आकर बोले वह भी उनकी संवेदनहीनता और मानसिक स्थिति और मुख्यमंत्री की बेबसी का परिचय देता है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि 2023 से अब तक केंद्र सरकार द्वारा लगभग 5500 करोड रुपए और  1.11 लाख प्रधानमंत्री आवास हिमाचल प्रदेश को दिए गए हैं। इसके अलावा प्रदेश में संचालित हर योजना में केंद्र की बहुत भागीदारी होती ही है। लेकिन सरकार अब तक 5500 करोड़ का दसवां हिस्सा भी आपदा प्रभावितों पर खर्च नहीं कर पाई है। जिस कार्यक्रम का इतना शोर डाला जा रहा है उसमें मात्र 81 करोड़ रुपए आपदा प्रभावितों कोमिले हैं। उसमें भी सरकार द्वारा 4 महीने का समय लगाया गया है। 2023 में टूटी सड़कें आज तक वैसे की वैसी पड़ी हुई है। केंद्र द्वारा दिए गए पैसे मुख्यमंत्री लोगों तक पहुंचाएंगे तो बहुत मेहरबानी होगी।

जय राम ठाकुर ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री अपने सभी नेताओं का टूर प्लान निकाल लें। उनके किसी भी नेता से कम मैं आपदा प्रभावितों से मिलने नहीं गया हूं। उनके नेता बेलगाम हो गए हैं। उनके मंत्री और विधायक उन्हें आंखें तरेरते रहते हैं। उनके आगे मुख्यमंत्री असहाय हैं। प्रदेश के कोने-कोने में आपदा आई। बिलासपुर में एक सड़क धंसने से ही 16 लोगों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री ने तो वहां जाना भी जरूरी नहीं समझा। ऐसे में उनके मंत्री और उनके द्वारा ऐसा शर्मा बयान देना उनकी संवेदनहीनता और समझ को प्रदर्शित करता है। जब प्रदेश में विधानसभा सत्र के दौरान आपदा पर चर्चा हो रही थी तो मुख्यमंत्री बिहार में बिना चुनाव ही चुनावी  यात्रा कर रहे थे।

जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री बार-बार कहते हैं कि हमने 1000 करोड़ की बिल्डिंगें बनाई हैं। हमने बनाई तो क्या गलत किया। जिस तरीके से आपने हमारे खोले गए हजारों संस्थान बंद कर दिएहैं। अगर आप चाहे तो उसी तरह से सारी बिल्डिंग्स को बुलडोजर लगा कर गिरा दीजिए। क्योंकि उसके अलावा आप कुछ कर नहीं सकते। ऐसी नकारात्मक सोच के साथ काम करने वाला मुख्यमंत्री आज तक प्रदेश को नहीं मिला। जो प्रदेश को आगे बढ़ाने के बजाय पीछे ले जाने में खुशी पाता हो। मुख्यमंत्री का रवैया कितना अमानवीय है कि उनकी पार्टी के छह विधायक और तीन विधायक जो उन्हें समर्थन दे रहे थे उनके रवैए से उन्होंने पार्टी छोड़ना ही उचित समझा।

यह देश के इतिहास में पहली बार हो रहा होगा कि पूरे दिन प्रदेश हितों की बात करने वाले हाइड्रो प्रोजेक्ट को गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट कांट्रैक्ट के तहत प्रसिद्ध पीएसयू से काम  छीन कर कांग्रेस शासित कर्नाटक और तेलंगाना, आंध्रा  प्रदेश के ठेकेदारों को बुला बुलाकर काम दिया जा रहा है। यह कैसा प्रदेशहित है? ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि केंद्र सरकार की सरकारी उपक्रम वह नहीं दे पाएंगे जो निजी ठेकेदार दे रहे हैं। इन्हें प्रदेश हित से कोई मतलब नहीं है इन्हें अपने नेताओं की जेबें गर्म करनी हैं। धारा 118 को लेकर घूम- घूम कर ठेकेदारी करने वाले लोग कौन हैं? जिनको सरकार का संरक्षण है और जो खुले आम 118 में छूट दिलाने के नाम पर उगाही कर रहे हैं? भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दी गई हैं। पूरे प्रदेश को बेचने के लिए मित्र मंडली जी जान से लगी हुई है।

शराब नीति को लेकर खूब शोर मचाया गया लेकिन आज हालात सबके सामने है। हाल ही में सरकार द्वारा शराब पॉलिसी में कोटे को लेकर परिवर्तन किया गया है जो कि नियमतः नहीं किया जा सकता। सरकार के इस नियम से शराब की एक पेटी पर लगभग 1250 रुपए का नुकसान होगा। इससे प्रदेश को सैकड़ो करोड़ रुपए का राजस्व का नुकसान होगा। यह सब उसी तर्ज पर हो रहा है जैसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में अरविंद केजरीवाल ने किया था और वह जेल तक हो आए थे। सरकार का या कम आने वाले समय में सरकार पर बहुत भारी पड़ेगा।

अम्ब में शराब की फैक्ट्री में दो साल से शराब बन रही थी। लोगों के दबाव पर वहां पर रेड हुई तो मुख्यमंत्री कार्यालय के ही लोग अड़ गए। रात भर फोन पर फोन करके कार्रवाई न करने का दबाव बनाया गया। आखिर यह सब किसके इशारे पर हो रहा था?

तीन साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने कर और कर्ज के मॉडल पर ही सरकार चलाई है। मात्र 3 साल में सरकार के कर्ज का आंकड़ा 40000 करोड़ को छूने जा रहा है। सुविधाओं को महंगा करना, नए-नए कर खोज कर लाना और जनता पर  लादना ही उनका प्रमुख शगल है। इसके अलावा लज्जा रहित होकर बेशर्मी के साथ दिन-रात झूठ बोलना उनका काम है। प्रदेश में होंगे प्रदेश में झूठ बोलेंगे, विदेश में होंगे विदेश में झूठ बोलेंगे। लोग इलाज के लिए अपने मंगल सूत्र बेच रहे हैं। बच्चे तिरपाल के नीचे पढ़ रहे हैं। डेढ़ हजार से ज्यादा स्कूल बंद कर दिए गए हैं। ठेकेदार टेंडर लेने से भाग रहे हैं। भुगतान के लिए सड़कों पर हैं। भुगतान के लिए पहले पैसा जमा करना पड़ रहा है और कहां जमा करना पड़ रहा है ठेकेदारों को बताया जा रहा है।

आपदा में सरकार पर नहीं लोगों ने हम पर भरोसा किया, सरकार को लज्जा से डूब मरना चाहिए 

जयराम ठाकुर ने कहा कि कुछ लोग आपदा प्रभावितों में लोगों द्वारा दी गई मदद का हिसाब मांग रहे हैं। उन्हें तो लज्जा से डूब मरना चाहिए कि ऐसी स्थिति में लोगों पर सरकार की वजह हम पर भरोसा किया। जो सरकार लोगों को ढाई हजार की फौरी राहत भी नहीं दे पाई वह किस मुंह से बात कर रही है। उन्होंने कहा कि जितने लोगों ने भी राहत सामग्री पहुंचाई ज्यादातर लोगों ने अपने सामने उसे बांटी। जिन्होंने नगद राशि दी उन्हें हमने बाकायदा पत्र लिख लिख कर बताया कि उनके द्वारा दिया गया चेक किस व्यक्ति को कब दिया गया और उनका आभार जताया गया। सरकार के लोगों की नजर भी लोगों द्वारा दी गई आपदा राहत राशि पर गिद्ध की तरह लगी हुई है। लेकिन उन्हें एक बार इस बात पर विचार जरूर करना चाहिए कि लोगों ने उन्हें वह पैसे क्यों नहीं दिए?

जयराम ठाकुर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के हर मंडल ने राहत सामग्री इकट्ठा की और आपदा प्रभावितों को बांटी। हमारे कार्यकर्ताओं ने सर पर 30-30 किलो का बोझ रखकर 15-15 किलोमीटर पैदल यात्राएं की। कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता हमें कहीं दिखाई नहीं दिया। कांग्रेस के नेता इस बात पर लड़ रहे थे कि जो सड़कें हमने लोगों से चंदा लेकर खुलवाई हैं उसका बिल पीडब्लूडी उनके नाम पर बना दे।

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