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Telegram के CEO है 100 बच्चों के पिता! जानें फ्लिमी तरीका…

Telegram के CEO है 100 बच्चों के पिता! जानें फ्लिमी तरीका… Telegram के CEO है 100 बच्चों के पिता! जानें फ्लिमी तरीका…

नई दिल्लीः टेलीग्राम के CEO पावेल डुरोव ने हाल ही में एक पोस्ट करके जानकारी दी है, जिसमें वो दावा करते हैं कि वह 100 से अधिक बच्चों के बायोलॉजिकल पिता है। यह बच्चे 12 देशों में रहते हैं। 39 साल के आंत्रप्योर अपने पोस्ट में लिखते हैं कि मुझे अभी पता चला है कि मेरे 100 से ज्यादा बायोलॉजिकल बच्चे हैं।

स्पर्म डोनर बनने की कहानी की शुरुआत आज से 15 साल पहले हुई थी। जब एक मैरिड फ्रेंड फर्टिलिटी इश्यू के कारण कंसीव नहीं कर पा रहा था। उसने इनसे स्पर्म डोनेट करने के लिए कहा था। जिस पर वह राजी हो गए थे। लेकिन जब वह क्लिनिक गए तो वहां उनके स्पर्म को हाई क्वालिटी बताया उनसे सिविल ड्यूटी के रूप में लगातार डोनेशन करने के लिए रिक्वेस्ट किया।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर फर्टिलिटी एंड आईवीएफ के अनुसार, स्पर्म डोनर वह पुरुष होता है जो अपने स्पर्म का दान करता है ताकि एक बांझ व्यक्ति या जोड़ा कंसीव कर सके और बच्चे का सुख प्राप्त कर सके। अमेरिका में 1884 से स्पर्म डोनेशन की मदद से बच्चे पैदा हो रहे हैं।

बेबी कंसीव करने के लिए एक कपल को स्पर्म डोनर की जरूरत उसे होती है, जब पुरुष के स्पर्म की क्वालिटी लो होती है। या पर्याप्त स्पर्म प्रोडक्शन करने में सक्षम नहीं होता है।

कौन कर सकता है स्पर्म डोनेट?

स्पर्म डोनेट करने के लिए कुछ शारीरिक और मानसिक मानकों को पूरा करना आवश्यक होता है।

हेल्थ-डोनर को शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए, कोई गंभीर बीमारी या संक्रमण नहीं होना चाहिए।

उम्र- अधिकांश स्पर्म बैंक 18 से 40 वर्ष की आयु के पुरुषों से ही स्पर्म डोनेशन एक्सेप्ट करते हैं।

स्पर्म क्वालिटी- शुक्राणु की संख्या, गतिशीलता और आकार सामान्य होना चाहिए।

मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य- दानदाता को मानसिक रूप से स्थिर और परिपक्व होना चाहिए। इसे सुनिश्चित करने के लिए स्पर्म डोनर कुछ टेस्ट से गुजरना पड़ता है।

जेनेटिक बीमारियां- डोनर के परिवार में कोई गंभीर जेनेटिक बीमारी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए डोनर के कुछ टेस्ट और फैमिली की मेडिकल हिस्ट्री देखी जाती है।

डोनेशन प्रोसेस

रजिस्ट्रेशन- डोनर को एक मान्यता प्राप्त स्पर्म बैंक में पंजीकरण करना होता है।

स्क्रीनिंग- पंजीकरण के बाद, डोनर का मेडिकल और मनोवैज्ञानिक टेस्ट किया जाता है। इसमें फिजिकल टेस्ट, ब्लड टेस्ट, इंफेक्शन टेस्ट, जेनेटिक टेस्ट शामिल है।

स्पर्म टेस्ट- यदि टेस्ट में डोनर के टेस्ट नॉर्मल आते हैं, तो उससे स्पर्म का नमूना लिया जाता है। नमूने को लैब में जांचा जाता है ताकि स्पर्म की क्वालिटी का मूल्यांकन किया जा सके।

डोनर प्रोफाइल- डोनर की शारीरिक विशेषताओं, शिक्षा, व्यवसाय आदि की जानकारी एक गोपनीय प्रोफाइल में दर्ज की जाती है।

स्पर्म स्टोरेज- इन सारे टेस्ट से गुजरने के बाद बेस्ट स्पर्म को सिलेक्ट करके क्रायोप्रिजर्वेशन (फ्रीजिंग) कर दिया जाता है।

डोनर बनने के फायदे

स्पर्म डोनेशन से एक पुरुष कई इनफर्टाइल कपल को माता-पिता बनने का सुख दे सकते हैं। इसके अलावा स्पर्म डोनेशन से आप पैसे भी कमा सकते हैं। कुछ स्पर्म बैंक डोनर को स्पर्म देने के लिए पेमेंट करती है।

-डोनर को बच्चे से मिलने या उसके बारे में जानकारी प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं होता है।

-स्पर्म डोनेट करने से हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं। यह भी गलत है। उचित स्क्रीनिंग और परीक्षण के बाद, डोनर के स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।

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