हमारे उपर पथराव व लाठीचार्च हुआ था लेकिन हम डटे रहे: सुरुचि
6 दिसंबर 1992 के दिन को आज भी शौर्य दिवस के रुप में याद है
बददी/ सचिन बैंसल : बददी के सुरुचि शर्मा जो कि विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ता है की भी मंदिर अंादोलन से अटूट यादें जुडी हुई हैं। बददी के हिल व्यू झाडमाजरी में रहने वाले सुरुचि शर्मा ने बताया कि वह मूलत: सुजानपुर टिहरा रहने वाले हैं। जैसे हमें विश्व हिन्दू परिषद् से न्योता आया कि अयोध्या जाना है उसी समय 1992 में राम भक्त द्वारा उस समय सुजानपुर अध्यक्ष नाते अयोध्या विवादित बाबरी ढांचा गिराने के लिए गए , उसी समय अपने माता पिता को बताया और आशिर्वाद लिया और बोल कर गया था कि जब तक वापिस नहीं आता हूं तब तक घर में हींग न खाना लेकिन भगवान राम के आशिर्वाद बापिस आया और घर में हलवा बनाया माता और पिता एवम बड़े भाई, बहन से मुझे देखा खुश हो गया ।
वहां हमें जैसे ही वेरिगेट तोड़ कर आगे गए हमारे ऊपर पथराव और डंडे से पिटाई की ,लेकिन मुझे थोड़ी थोड़ी चोटें लगी थी ,लेकिन जैसे गुमंद गिरा कुछ राम भक्त मलबे में दब गए। हम बाद में टेंट में गए सरयू नदी में स्नान भी किया। लेकिन फिर संगठन से अयोध्या दोबारा 2001 में फिर संगठन से आंदोलन सौभाग्य मिला और फिर से गया। लेकिन जिसमें हमें लखनऊ जेल में बंद कर दिया। लखनऊ के जेल से बाहर निकलने बाद राम प्रभु के दर्शन किए और भगवान राम जी को टेंट में देखा उसके तुरंत बाद घर पहुंच कर 2.50 करोड़ राम नाम के जाप करवाए क्षेत्र को सिद्ध क्षेत्र बनाया। उसी समय अमृत जल विश्व हिन्दू परिषद द्वारा पूरे देश में यात्रा की गई हिमाचल प्रांत में संतों द्वारा कलश बांटे । हर जिले में यात्रा पहुंची। ये कलश अमृत जल आज भी मेरे घर में है। उस समय ऐसी परिस्थिति थी लोग हमें समझते नहीं थे।
लेकिन आज पूरा विश्व हिंदू परिषद में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में निमंत्रण पत्र और अक्षत घरों घरों में पहुंचा रहा है। मेरे पास अमृत कलश घर में मौजूद है इस कलश खंडित हो गया है अब सरयू नदी में अयोध्या जाकर सरयू नदी में डाल दिया है। आज पूरा देश को मेरी तरफ से बधाई 22 जनवरी 2024 मंदिर में राम प्रभु विराजमान हो जाएंगे।
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