नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के तहत पूर्व सैन्य कर्मियों को बकाये का भुगतान करने के संबंध में केंद्र द्वारा सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब को स्वीकार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। साथ ही कोर्ट ने बकाया राशि को 30 अप्रैल तक भुगतान करने का आदेश दिया है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘हमें उच्चतम न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के चलन पर रोक लगाने की जरूरत है…यह मूल रूप से निष्पक्ष न्याय दिए जाने की बुनियादी प्रक्रिया के विपरीत है।’’ प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के खिलाफ हूं। अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए…यह आदेशों को अमल में लाने को लेकर है। इसमें गोपनीय क्या हो सकता है।’’
उच्चतम न्यायालय ओआरओपी बकाये के भुगतान को लेकर ‘इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट’ (आईईएसएम) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। उच्चतम न्यायालय ने ओआरओपी के बकाये का चार किश्तों में भुगतान करने का ‘‘एकतरफा’’ फैसला करने के लिए 13 मार्च को सरकार की खिंचाई की थी।
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