नई दिल्लीः देश के कई राज्यों में सड़कों और हाईवे पर खुले घूम रहे आवारा कुत्तों और मवेशियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा पशुओं के बढ़ते खतरे और सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और नगरपालिकाओं को अहम निर्देश जारी किए हैं। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि आवारा पशुओं को सड़कों, हाईवे और सार्वजनिक स्थलों से हटाना अनिवार्य है, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और पशुओं के संरक्षण के साथ संतुलन बना रहे।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस अड्डों समेत सार्वजनिक स्थलों से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आवारा कुत्तों को निर्धारित डॉग शेल्टर्स में स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अवारा कुत्तों को वापस उसी जगह पर नहीं छोड़ा जाए, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। SC ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों की भी पुष्टि की जाए कि PWD नगरपालिका प्राधिकरण, सड़क और परिवहन प्राधिकरण राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से मवेशियों को हटाकर तुरंत उन्हें आश्रय स्थलों में पुनर्वासित किया गया है कि नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 8 हफ्ते का समय दिया है।
शीर्ष अदालत ने अपने निर्देश में कहा कि प्रत्येक अथॉरिटी, राजमार्गों और अन्य एक्सप्रेसवे पर आवारा मवेशियों की सूचना देने के लिए हाईवे अथॉरिटी गश्ती दल का गठन करेगा। सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवारा पशुओं की उपस्थिति की सूचना देने के लिए हेल्पलाइन नंबर होंगे। सभी राज्यों के मुख्य सचिव इन निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेंगे। यही नहीं प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अदालत के निर्देशों और अमाइकस की रिपोर्ट का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक हलफनामे दायर करेंगे। आवारा कुत्तों के मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अमाईकस प्रस्तुत रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया जाए और यह SC के आदेश का हिस्सा होगी।