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राज्यस्तरीय हरोली उत्सव 2025 का आगाज़ 27 अप्रैल से, युद्धस्तर पर चल रही तैयारियां

राज्यपाल करेंगे शुभारंभ, मुख्यमंत्री समापन समारोह के मुख्य अतिथि

ऊना/ सुशील पंडित: हरोली की धरती एक बार फिर से कला-संस्कृति के उत्सवी रंगों में सजने को तैयार है। उपमुख्यमंत्री एवं हरोली के विधायक मुकेष अग्निहोत्री की प्रतिबद्धता और सतत प्रयासों के बूते सात वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आयोजित हो रहे राज्य स्तरीय हरोली उत्सव-2025 को पूरे पुनः पूरे वैभव के साथ आयोजित करने को लेकर युद्धस्तर पर चल रही तैयारियां की जा रही हैं।

बता दें, उत्सव का आयोजन 27 से 29 अप्रैल तक हरोली के कांगड़ मैदान में होगा। तीन दिवसीय उत्सव का उद्घाटन 27 अप्रैल को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल करेंगे, उत्सव का आगाज भव्य शोभायात्रा के साथ होगा। जबकि समापन 29 अप्रैल को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की उपस्थिति में होगा। 28 अप्रैल को विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया बतौर मुख्य अतिथि समारोह की शोभा बढ़ाएंगे।

उपायुक्त जतिन लाल ने बताया कि उत्सव की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं और इसे भव्यता देने के लिए प्रशासन, विभिन्न विभागों और स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से एक विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि मेले के दौरान अन्य आयोजनों के अलावा खेल प्रतियोगिताएं, प्रदर्शनी, व्यावसायिक स्टॉल, स्वास्थ्य कैंप, कृषि एवं पशुपालन विभाग की प्रदर्शनियां के भी आयोजन होंगे। महिला स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल भी लगाए जाएंगे।

तीनों दिन भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। लोकगीतों, नाट्य विधाओं, नृत्य और गायन की विविध रंगों से सजी ये सांस्कृतिक कार्यक्रम उत्सव की शोभा बढ़ाएंगे। इस उत्सव को जनसहभागिता का उत्सव बनाने की पूरी तैयारी है। आने वाले दिनों में प्रशासन कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा और सांस्कृतिक संध्याओं के कलाकारों की सूची भी जारी करेगा।

उपायुक्त ने जनता से इस उत्सव में बढ़चढ़ कर शामिल होने और कार्यक्रमों का आनंद लेने का आह्वान किया है।
वहीं उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि लोक संस्कृति और लोक उल्लास के इस उत्सव को जनभागीदारी और जनसहभागिता का उत्सव बनाने के साथ इसके भव्य आयोजन के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। यह उत्सव हमारे लिए महज एक आयोजन से बढ़कर भावनाओं का ऐसा सरोवर है, जिसमें हमारी संस्कृति, परंपराएं, लोक-चेतना और सामूहिक उल्लास मिलकर बहते हैं। यहां कलाओं को प्रश्रय, कलाकारों के लिए मंच तथा उनकी कला साधना को सम्मान मिलेगा।

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